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के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है, जो ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जब प्रकृति अपने सुन्दर रूप में खिल उठती है। इस दिन, ज्ञान की देवी को याद किया जाता है, और उन्हें प्रतिष्ठित कर उनसे ज्ञान और विवेक की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। विशेष रूप से छात्रों और विद्वानों के लिए यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे देवी सरस्वती से आशीर्वाद पाने की आशा करते हैं।
बसंत पंचमी के दिन, लोग सरस्वती पूजा करते हैं, जिसमें देवी का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है। पूजा की शुरुआत में सरस्वती की प्रतिमा को पीले फूलों और वस्त्रों से सजाया जाता है। इसके बाद एक दीपक जलाया जाता है और देवी को मिष्ठान्न के रूप में पीले मिठाई का भोग लगाया जाता है। पूजा में किताबें, लेखन सामग्री, और संगीत वाद्य यंत्र भी शामिल किए जाते हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से ज्ञान और कला का प्रतिनिधित्व करते हैं। भक्त देवी सरस्वती के विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और उनके आशीष से अपने जीवन में प्रगति की कामना करते हैं।
हर वर्ष, वसंत पंचमी विशेष उत्साह और धार्मिक भावनाओं के साथ मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त प्रातः 7:08 बजे से 12:34 बजे तक होता है, जिसमें मध्यान्ह काल में पूजा का सबसे उपयुक्त समय होता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने की परंपरा है, जो कि सरसों के फूलों की बहार का प्रतीक है। वस्त्र के साथ ही, लोग पीली मिठाइयाँ भी भोजन में शामिल करते हैं। इस दिन विशेष रूप से नए कार्यों की शुरुआत करना अति शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी के अवसर पर धार्मिक समारोहों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस दिन विद्यालयों और शिक्षा संस्थानों में विशेष समारोह होते हैं, जिनमें अध्यापक और विद्यार्थी मिलकर संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। इसके माध्यम से वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान भी करते हैं और इसकी विविधताओं से प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह पर्व बच्चों और युवा पीढ़ी में शिक्षा के प्रति नई ऊर्जा का संचार भी करता है।
2025 में बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को पड़ेगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त प्रातः 7:08 बजे से 12:34 बजे तक है। इस समय, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रातः 9:14 बजे से आरंभ होकर अगले दिन 6:52 बजे समाप्त होगी। इस अवधि के दौरान देवी की आराधना करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। पंचमी तिथि में ज्ञान की देवी की पुजा करने से भक्तों को ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष फल की प्राप्ति होती है।
बसंत पंचमी का पर्व उन लोगों के लिए खास महत्व रखता है, जो नई शिक्षा की शुरूआत करना चाहते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जो अपनी शिक्षा या हस्तकला में नए आयाम स्थापित करना चाहते हैं। विभिन्न शिक्षण संस्थानों में भी इस दिन विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनके समक्ष छात्रों के द्वारा किताबें और लेखन सामग्री रखी जाती है, ताकि वे देवी की कृपा से अधिक ज्ञान अर्जित कर सकें।