ऊर्जा परिवर्तन

जब हम ऊर्जा परिवर्तन, पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक कारणों से पारम्परिक कोयला‑तेल‑गैस से साफ़, सतत ऊर्जा स्रोतों की ओर पेशेवर और सरकारी स्तर पर लाए जा रहे बदलाव. Also known as इन्फ्रास्ट्रक्चर परिवर्तन, it shapes how industries, घर और ट्रांसपोर्ट आज और कल ऊर्जा का उपयोग करेंगे। भारत में इस परिवर्तन की गति बढ़ी है, क्योंकि नयी नीतियाँ, निवेश और तकनीकी उन्नति मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

उपलब्ध स्रोतों में सबसे प्रमुख है नवीकरणीय ऊर्जा, सौर, पवन, जल और बायोमास जैसे असीमित संसाधन जो पृथ्वी के प्राकृतिक चक्र से जुड़े होते हैं. इसका एक मुख्य वर्ग है सौर ऊर्जा, रौशनी को सीधे बिजली में बदलने वाली फोटोवोल्टिक तकनीक और सौर थर्मल सिस्टम, जो ग्रामीण बिजली पहुंच और औद्योगिक पूवर में अहम भूमिका निभा रही है। दूसरा प्रमुख विकल्प है पवन ऊर्जा, हवा की गति से टरबाइन घुमाकर जनरेट की जाने वाली शक्ति, विशेषकर किनारे और तेज़ हवाओं वाले क्षेत्रों में लागत‑प्रभावी. इन दो स्त्रोतों की बढ़ती क्षमता के साथ ऊर्जा भंडारण, बैटरियों, पम्प्ड हाइड्रो और थर्मल स्टोरेज जैसी तकनीकें जो उत्पादन‑अधिकता को समय‑समय पर उपयोग योग्य बनाती हैं का महत्व भी बढ़ा है, क्योंकि यह निरंतर आपूर्ति और ग्रिड स्थिरता को सुनिश्चित करता है।

ऊर्जा परिवर्तन के मुख्य वाहन

ऊर्जा परिवर्तन नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने की नीति, निजी निवेश और तकनीकी शोध से जुड़ी होती है। सरकार ने 2030 तक न्यूनतम 40% इलेक्ट्रीसिटी को नवीकरणीय बनाने का लक्ष्य रखा, इसलिए सौर‑पवन पार्कों की संख्या पिछले पाँच साल में दो‑तीन गुना बढ़ी है। इसी क्रम में, भारत की प्रमुख स्टार्ट‑अप्स लिथियम‑आयन और ग्रैफीन‑आधारित बैटरियों में निवेश कर रही हैं, जिससे ऊर्जा भंडारण लागत पिछले दशक में 60% तक कम हुई है. इसके अलावा, इंटेलिजेंट ग्रिड सॉल्यूशन्स, AI‑आधारित मांग‑आपूर्ति प्रिडिक्शन और ब्लॉकचेन‑आधारित सर्टिफ़िकेशन सिस्टम भी ऊर्जा परिवर्तन को तेज़ी से आगे ले जा रहे हैं।

ये सब मिलकर एक बड़ा परिप्रेक्ष्य बनाते हैं: जब सौर‑पवन उत्पादन बढ़ता है, तो भंडारण की जरूरत बढ़ती है, और ग्रिड प्रबंधन तकनीकें उस गड़बड़ी को सम्हालती हैं। इस त्रिकोणीय संबंध को कई उद्योगों ने अपनाया है—जैसे फार्मा के ठंडा रखने वाले कूलर अब सोलर‑पावर्ड बैक‑अप पर चलते हैं, और बड़े मॉल्स ने पवन‑सौर हाइब्रिड सिस्टम इंस्टॉल किए हैं। परिणामस्वरूप, न केवल कार्बन फुटप्रिंट घटता है, बल्कि बिजली बिल में भी उल्लेखनीय कमी आती है।

नीति‑निर्माताओं, ऊर्जा कंपनियों और सामान्य उपभोक्ताओं के बीच ये इंटरैक्शन ही ऊर्जा परिवर्तन की असली कहानी है। नीचे आप देखेंगे कि कैसे ये तत्व अलग‑अलग समाचारों, विश्लेषणों और विशेषज्ञ राय में परिलक्षित होते हैं—चाहे वो नया सौर पार्क हो, पवन टरबाइन का लॉन्च, या बड़ा बैटरी प्रोजेक्ट। इन लेखों को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि वर्तमान में भारत में ऊर्जा परिवर्तन कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अगले कदम क्या हो सकते हैं।

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नव॰

ब्राज़ील ने शुरू की 'न्यायसंगत और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन संधि' की पहल: वैश्विक ऊर्जा बदलाव की दिशा में बड़ा कदम

ब्राज़ील ने अपनी जी20 अध्यक्षता के तहत 'न्यायसंगत और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन संधि' की शुरुआत की है। यह पहल स्वच्छ, किफायती और समावेशी वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस संधि के दस इच्छुक सिद्धांत, जो जी20 ऊर्जा मंत्रियों द्वारा समर्थित हैं, ऊर्जा परिवर्तन के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।.

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