जब कोई संपत्ति या धन दूसरे व्यक्ति को सौंपा जाता है, तो सरकार के पास प्रतिभूति लेन-देन कर, धन या संपत्ति के हस्तांतर पर लगाया गया कर. साथ ही इसे स्थावर संपत्ति ट्रांसफर टैक्स के नाम से भी जाना जाता है। यह कर सीधे पूंजीगत लाभ कर, संपत्ति बेचने पर मिलने वाले लाभ पर लगने वाला कर से जुड़ा है, जबकि उपहार कर, किसी को मुफ्त में दी जाने वाली वस्तु या धन पर लगाया जाने वाला कर भी समान लेन‑देन सिद्धांत पर काम करता है। इन किरयाओं को समझना जरूरी है क्योंकि क्रेडिट, रियल एस्टेट या यहाँ तक कि कीमती धातुओं के लेन‑देन में इधर‑उधर की कर‑बारियों से बचा जा सकता है।
बहुत से लोग मानते हैं कि प्रतिभूति लेन‑देन कर केवल रियल एस्टेट पर ही लागू होता है, लेकिन यह धातु, शेयर, बॉण्ड और यहां तक कि डिजिटल एसेट्स पर भी लागू हो सकता है। इसलिए, संपत्ति कर, स्थायी या गतिशील संपत्ति पर लगाया जाने वाला कर को भी इस संदर्भ में देखना चाहिए। कर कानूनी ढांचा बताता है कि "(पर्याप्त) मूल्यांकन → (कर योग्य) दर → (भुगतान)" इस क्रम में कार्य करना चाहिए। इस क्रम को समझना करदाता को अनुपालन में मदद देता है और अनावश्यक दंड से बचाता है।
संक्षेप में, प्रतिभूति लेन‑देन कर तीन प्रमुख घटकों से बना है: लेन‑देन का प्रकार, लेन‑देन की वैल्यू, और लागू दर। ये घटक व्यवसायिक नियमन (Regulatory Framework), कर दर तालिका (Tax Rate Schedule) और छूट/बहिष्कार नियम (Exemption Rules) के साथ जटिल रूप से जुड़े होते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आप 25 लाख रुपये के सोने को उपहार में देते हैं, तो उपहार कर की छूट सीमा (50 लाख) को पार नहीं करेगी, परन्तु यदि वही सोना बेच कर 30 लाख रुपये का लाभ होता है, तो पूंजीगत लाभ कर लागू होगा। यहाँ से स्पष्ट होता है कि "उपहार कर प्रभावित करता है, लेकिन पूंजीगत लाभ कर अंततः लेन‑देन की शुद्ध आय पर असर डालता है" — यह एक साधारण semantic triple है।
अधिकतर लोग कर‑रिटर्न में गलती करते हैं क्योंकि वे कर नियमन, केन्द्रीय और राज्य स्तर पर लागू कर कानून के अद्यतन संशोधनों को नजरअंदाज़ कर देते हैं। 2024‑25 में आयकर अधिनियम में हुए बदलावों ने कुछ उच्च‑मूल्य वाले लेन‑देन की दर को 15 % से घटाकर 12 % कर दिया, जबकि डिजिटल एसेट्स पर कर अब 10 % है। इसलिए, प्रत्येक वित्तीय लेन‑देन से पहले नवीनतम नियम देखना अनिवार्य है।
यदि आप पहली बार इस कर को लागू कर रहे हैं तो एक सरल चेक‑लिस्ट मददगार हो सकती है: 1) लेन‑देन का दस्तावेज़ तैयार रखें, 2) मूल्यांकन रिपोर्ट प्राप्त करें, 3) लागू दर की पुष्टि करें, 4) छूट के लिये आवश्यक फॉर्म भरें, 5) भुगतान की तिथि से पहले कर जमा करें। यह प्रक्रिया न केवल अनुपालन को आसान बनाती है, बल्कि भविष्य में टैक्स ऑडिट के दौरान प्रश्नों से भी बचाती है।
इन सभी बिंदुओं को समझने के बाद आप नीचे की सूची में पाए जाने वाले लेखों में गहराई से पढ़ सकते हैं। हमारे संग्रह में सोने‑चांदी की कीमत, शेयर‑बाजार का रुझान, विभिन्न राज्य‑विशिष्ट कर‑छूट और हाल के वित्तीय समाचार शामिल हैं, जो आपके निर्णय को सटीक आंकड़ों पर आधार बनाते हैं। अब आगे बढ़ते हुए, नीचे दी गई सामग्री में प्रत्येक पहलू का विस्तृत विश्लेषण मिलेगा, जिससे आप अपने वित्तीय लेन‑देन को सुरक्षित और लाभदायक बना सकेंगे।
के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2024 के बजट में प्रतिभूति लेन-देन कर में वृद्धि के प्रस्ताव के बाद भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। सेन्सेक्स 102.57 अंक गिरकर 80,502.08 पर और निफ़्टी 21.65 अंक गिरकर 24,509.25 पर बंद हुआ। पिछले शुक्रवार को उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद यह गिरावट आई।
और देखें