पेरिस पैरालंपिक्स 2024 – भारत के लिए महत्वपूर्ण मोड़

जब पेरिस पैरालंपिक्स 2024, 2024 में फ्रांस के पैरालम्पिक खेलों का मुख्य मंच. Paris 2024 Paralympics की बात आती है, तो सबसे पहले दिमाग में भारत की हालिया जीत आती है। इस इवेंट में शीतल देवी, 17 साल की युवा तीरंदाज़, भारत की पहली पैरालिम्पिक मेडलिस्ट और राकेश कुमार, अन्य बोर्डर तीरंदाज़, जो शीतल के साथ मिश्रित टीम में प्रतिस्पर्धा करते हैं ने मिलकर मिश्रित टीम कॉम्पाउंड आर्चरी में ब्रॉन्ज़ जीतकर इतिहास बना दिया। यह जीत सिर्फ एक मेडल नहीं है—यह "मिश्रित टीम कॉम्पाउंड आर्चरी" (मिश्रित टीम कॉम्पाउंड आर्चरी, पुरुष‑और‑महिला ध्वजधारी तीरंदाज़ों की टीम‑इवेंट) की क्षमता और भारत की पैरालिंपिक रणनीति की पुष्टि है।

पेरिस में आयोजित यह खेल मैत्रीपूर्ण माहौल और प्रतिस्पर्धी तादाद दोनों के लिए एक बड़ा परीक्षण था। भारत ने पहले भी कई पैरालिम्पिक खेलों में भाग लिया था, पर 2024 में सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल की संख्या पहले से अधिक रही। "भारत पैरालिम्पिक" (भारत पैरालिंपिक, देश के दिव्यांग एथलीटों का अंतरराष्ट्रीय मंच) ने अब न केवल एथलेटिक्स और स्विमिंग में अपनी पकड़ बनायी, बल्कि तीरंदाज़ी, बास्केटबॉल और बैडमিন्टन जैसे खेलों में भी कदम रखे। इस मंच पर जो मुख्य संरचनात्मक बदलाव हुए, उनमें एथलीटों की नई ट्रेनिंग तकनीकें, बेहतर फिजियोथेरेपी सपोर्ट, और सरकारी फंडिंग की बढ़ोतरी शामिल है। परिणामस्वरूप, शीतल और राकेश जैसे युवा खिलाड़ी अब विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

मुख्य क्षण और भविष्य की दिशा

स्पोर्ट्स फैन अक्सर पूछते हैं कि किन बातों ने इस ब्रॉन्ज़ जीत को संभव बनाया। पहला कारण था "टीम कॉम्पाउंड आर्चरी" में नई तकनीक—डिजिटल एरर‑कॉरेक्शन और हाई‑स्पीड कैमरा मदद से तीरंदाज़ों को रियल‑टाइम फीड मिला। दूसरा कारण था "सहयोगी प्रशिक्षण बरामदा" जहाँ शीतल और राकेश ने दोनों देशों के कोचों के साथ मिलकर अभ्यास किया, जिससे उनकी सामंजस्य में सुधार आया। तीसरा कारण था "मानसिक तैयारी"—ज्यादा तनाव न लेने के लिए वैकल्पिक ध्यान तकनीक और माइंडफुलनेस सत्रों ने एथलीट को स्थिर रखा। इन तीनों तत्वों ने मिलकर पेरिस पैरालंपिक्स में भारत की पहली बड़ी तीरंदाज़ी जीत को संभव किया।

आगे देखते हुए, विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत को अब "पैरालिंपिक इन्फ्रास्ट्रक्चर" को मजबूत करना होगा। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में एटलीट आइडेंटिफिकेशन स्कीम, अधिक सुलभ प्रशिक्षण केन्द्र, और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए नियमित एक्सपोज़र शामिल है। यदि यह रास्ता जारी रहता है, तो अगली बार हम "सिल्वर" या "गोल्ड" मेडल की उम्मीद कर सकते हैं। आपका क्या विचार है? नीचे के लेखों में आप पेरिस पैरालम्पिक्स के विभिन्न पहलुओं—खेलों की व्याख्या, भारतीय एथलीटों की कहानियाँ, और भविष्य की तैयारी—का विस्तृत विश्लेषण पाएँगे।

29

अग॰

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारतीय तीरंदाज शीतल देवी ने कम्पाउंड रैंकिंग राउंड में किया दूसरा स्थान प्राप्त

भारतीय पैरा-आर्चर शीतल देवी, जो दुर्लभ जन्मजात विकार फोकोमेलिया से पीड़ित हैं और जिनके दोनों हाथ नहीं हैं, ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में अहम सफलता हासिल की। 17 वर्षीय शीतल देवी ने महिलाओं के ओपन कम्पाउंड क्वालिफिकेशन राउंड में दूसरा स्थान प्राप्त किया, और वह विश्व रिकॉर्ड से मात्र एक अंक दूर रहीं।

और देखें