When working with कॉम्पाउंड आर्चरी, एक ऐसी शूटिंग विधि है जिसमें पॉलि‑पुल सिस्टम वाला बौ उपयोग होता है. Also known as कॉम्पाउंड बाउ, यह खेल सटीकता, शक्ति और तकनीक का मिश्रण है. कई लोग इसे सिर्फ ‘आधुनिक बौ’ मानते हैं, पर असल में इसमें लक्ष्य‑परिपूर्णता, शरीर‑स्थिति और मानसिक फोकस का पूरा पैकेज शामिल है.
इस पैकेज को समझने के लिए हमें सबसे पहले कॉम्पाउंड बौ, पुल‑कैब वाला बौ है जो तीर की गति को स्थिर रखता है पर नज़र डालनी चाहिए. इसका पॉलि‑पुल सिस्टम हाथ की थकान को घटा कर तीर को लगातार तेज़ी से फेंकता है, जिससे लक्ष्य पर सटीकता बढ़ती है. दूसरी ओर ट्रैडिशनल बौ, साधारण लाकड़ी या फाइबर बौ है जो बिना पॉलि‑पुल के शक्ति पर निर्भर करता है शुद्ध शक्ति और तकनीक की परीक्षा लेता है. दोनों बौ के बीच का अंतर टार्गेट शूटिंग प्रतियोगिताओं में अक्सर देखा जाता है, जहाँ टार्गेट शूटिंग, निर्धारित लक्ष्य पर तीर मारने की प्रतिस्पर्धा है में दोनों के प्रदर्शन की तुलना की जाती है.
अब बात करते हैं उपकरणों की. सबसे जरूरी है आर्चरी उपकरण जैसे कि तीर, साइड‑स्ट्रीट (स्ट्रिंग), क्विवर्स, और स्टेबलाइज़र. क्विवर तीर को फ्लाइट में स्थिर रखता है, जबकि स्टेबलाइज़र शॉट के दौरान बौ को संतुलित करने में मदद करता है. सही वजन और लंबाई वाला तीर चुनना भी उतना ही ज़रूरी है, क्योंकि छोटा या भारी तीर दोनों ही सटीकता को नुकसान पहुँचा सकते हैं. साथ ही, सुरक्षा गियर – आर्चरी ग्लव और चेस्ट प्रोटेक्टर – चोटों से बचाव के लिए अनिवार्य हैं.
पहला कदम है सही बौ का चयन. शुरुआती के लिए हल्का, आसान पिन‑ड्रॉप वाला कॉम्पाउंड बौ बेहतर रहता है. दूसरा, बेसिक स्ट्रेचिंग और फॉर्म वर्क करें; अच्छी पोज़िशन बिना दर्द के अधिक शक्ति देती है. तीसरा, नियमित अभ्यास से ही मांसपेशियों की स्मृति बनती है, इसलिए रोज़ 30‑45 मिनट लक्ष्य पर फोकस करें. चौथा, अपने शॉट को रिकॉर्ड करके वीडियो में देखें; इससे छोटे‑छोटे त्रुटियों को पकड़ना आसान हो जाता है.
इन टिप्स को अपनाते हुए आप जल्दी ही आत्मविश्वास महसूस करेंगे. कई अनुभवी शूटर कहते हैं कि नियमित ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ भी लक्ष्य‑परिपूर्णता में मदद करती है, क्योंकि श्वास को नियंत्रित करने से हाथ स्थिर रहता है. इसी तरह, जिम में हल्का कोर वर्कआउट रेंजिंग को बढ़ाता है, लेकिन जरूरी नहीं; घर पर पुश‑अप और प्लैंक से भी काम चल जाता है.
जब आप आगे बढ़ते हैं तो स्थानीय आर्चरी क्लब में शामिल हों. वहाँ आप कोचिंग, मैत्रीपूर्ण प्रतिस्पर्धा, और विभिन्न बौ मॉडल्स को आज़माने का मौका मिलेगा. क्लब में मिलने वाले सत्र अक्सर टार्गेट शूटिंग, मैप शॉट और अन्य स्पेशल इवेंट्स के साथ होते हैं, जिससे आपका अनुभव विस्तृत होता है.
कॉम्पाउंड आर्चरी केवल शौक नहीं, यह एक एथलेटिक स्पोर्ट भी है जिसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मान्यता मिली है. भारत में कई राज्यीय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं, जहाँ कॉम्पाउंड बौ वाले खिलाड़ी पदक जीतते हैं. इस कारण, अगर आप प्रोफेशनल बनना चाहते हैं तो राष्ट्रीय फेडरेशन की वेबसाइट पर लाइसेंसिंग और रैंकिंग प्रक्रिया को समझें.
संक्षेप में, कॉम्पाउंड आर्चरी के प्रमुख तत्व हैं: पॉलि‑पुल सिस्टम वाला बौ, सही आर्चरी उपकरण, सटीक फॉर्म, और लगातार अभ्यास. इन सब को मिलाकर आप लक्ष्य पर लगातार सटीक शॉट मार पाएँगे. अब आप तैयार हैं अपने शॉट को परिपूर्ण बनाने के लिए, चाहे वह रेक्रिएशन हो या प्रतियोगिता.
नीचे दी गई सूची में हम ने हाल की खबरें, टिप्स और विश्लेषण एक जगह इकट्ठा किए हैं, ताकि आप अपनी खेल समझ को और गहरा कर सकें. आगे पढ़ते हुए देखें कौन‑से लेख आपके ज्ञान को बढ़ाएँगे और कौन‑से टिप्स तुरंत लागू किए जा सकते हैं.
के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)
शीतल देवी (17) और राकेश कुमार ने पेरिस 2024 पैरालिम्पिक में मिश्रित टीम कॉम्पाउंड आर्चरी में 156‑155 से इटली को हराकर भारत का ब्रॉन्ज़ जीता, शीतल बन गई सबसे युवा भारतीय पैरालिम्पिक मेडलिस्ट।
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