करुणात्मक नियुक्ति – मानवता से परिपूर्ण चयन

जब हम करुणात्मक नियुक्ति, ऐसी नियुक्ति प्रक्रिया जो उम्मीदवार की सामाजिक पृष्ठभूमि, स्वास्थ्य या आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखती है. इसे अक्सर Compassionate Appointment कहा जाता है। तो यह शब्द सिर्फ सरकारी फाइल में नहीं रहता, बल्कि सरकारी नियुक्ति, राज्य या केंद्र के विभागों में पद भरने की प्रक्रिया में भी दिखता है, जहाँ "करुणा" के आधार पर विशेष वर्गों को आरक्षण या प्राथमिकता मिलती है।

एक और पहलू है न्यायालय आदेश, कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश जो अक्सर सामाजिक समानता को बनाए रखने के लिये किए जाते हैं। जैसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने महादेवी हाथी के स्थानांतरण का आदेश दिया – यह एक प्रकार की करुणात्मक नियुक्ति है, जहाँ संरक्षण और धार्मिक भावना को ध्यान में रखकर निर्णय लिया गया। इस तरह के आदेश समाज में संवेदनशील वर्गों की रक्षा करते हैं और निष्पक्षता को बढ़ाते हैं।

खेल और करुणात्मक चयन

खेल जगत में भी खेल चयन, टिम या एथलीट के चयन की प्रक्रिया में करुणा की भूमिका बढ़ रही है। भारत‑वेस्टइंडीज़ टेस्ट स्क्वॉड में युवा रवींद्र जडेजा को उप‑कप्तान बनाना, करुणात्मक नियुक्ति का एक उदाहरण है जहाँ टीम को नई उमंग और विविधता की जरूरत समझी गई। इसी तरह, एशिया कप में भारत‑पाकिस्तान की टक्कर से पहले युवाओं को अवसर देना, सामाजिक संतुलन और खेल भावना दोनों को सुदृढ़ करता है।

एक और दिलचस्प कनेक्शन है वित्तीय बाजार और करुणा का। सोने‑चांदी की कीमतों में उतार‑चढ़ाव देखते हुए लाचार लोग अक्सर सरकार की सहायता की अपेक्षा रखते हैं। वित्तीय बाजार, सोना, चांदी, शेयर आदि की ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म में करुणात्मक उपाय जैसे विशेष टैक्स रियायतें या सब्सिडी, गरीब वर्ग को आर्थिक संकट से बचा सकते हैं। इस तरह की नीतियां करुणा को वित्तीय नियोजन में भी शामिल करती हैं।

इन सब उदाहरणों से स्पष्ट होते हैं कि करुणात्मक नियुक्ति सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो विभिन्न क्षेत्रों – सरकारी, न्यायिक, खेल, वित्तीय और सामाजिक – में लागू होती है। नीचे आप देखेंगे कि इस टैग से जुड़े लेख कैसे इन विविध पहलुओं को गहराई से समझाते हैं। आगे के लेखों में आप विशिष्ट केस स्टडी, विशेषज्ञ राय और व्यावहारिक सलाह पाएँगे जो आपके जीवन या पेशेवर निर्णयों में करुणा को जोड़ने में मदद करेंगे.

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सित॰

बदायूँ में करुणात्मक नियुक्ति घोटाले पर योगी सरकार ने किया तेज़ कदम

उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में करुणात्मक आधार पर नियुक्तियों को लेकर फर्जी दस्तावेज़ों की जड़ तक पहुँचा गया है। योगी सरकार ने इस मामले में कई कर्मचारियों को सस्पेंड कर एक बड़े छानबीन की शुरुआत की है। जांच में फर्जी साक्ष्य, झूठे मेडिकल रिपोर्ट और अनावश्यक छूट दिखाई गई। कई राजनीतिक दलों ने इस कदम का स्वागत किया, जबकि कुछ ने प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की। इस स्कैम के पर्दे पर आने से राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं की सच्चाई फिर से सवालों के घेरे में आ गई है।

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