उत्तर प्रदेश में हालिया भर्ती घोटालों की लहर ने बदायूँ को भी अपना शिकार बना लिया। कई सरकारी पदों पर, विशेषकर शिक्षक और लो‑पैमान के क्लरिकल कर्मचारियों में, करुणात्मक आधार पर नियुक्तियों को लेकर गहरी जाँच शुरू हुई है। इस मामले में फर्जी दस्तावेज़, झूठी चिकित्सा रिपोर्ट और छिपी‑छिपी महरूमियों को उजागर किया गया।
कार्रवाई की पृष्ठभूमि और प्रमुख बिंदु
योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य भर में भर्ती प्रक्रिया में ‘करुणा’ के नाम पर हुए दुरुपयोग को रोकने के लिए एक विशेष आदेश जारी किया। बदायूँ में इस आदेश के तहत कई एप्लिकेशन फाइलें, जिनमें रोगी या परिजन के निधन का दावा किया गया था, बारीकी से जांची गईँ। जांच एजेंसियों ने पाया कि कई मामलों में मृत्यु प्रमाणपत्र की मूल प्रतियों को बदल कर प्रस्तुत किया गया था, जबकि वास्तविक मौत की तिथि या कारण में विसंगतियां थीं।
इन फर्जी प्रमाणों के कारण कई योग्य उम्मीदवारों को पीछे धकेला गया, जबकि असमान्य रूप से पात्र होते हुए भी निकटतम रिश्तेदारों को पद मिल गया। इस प्रक्रिया में सरकारी बेंचमार्क से नीचे की शर्तें भी पूरी कर दी गईं, जिससे चयन प्रक्रिया दुरुपयोग की राह पर चली गई।

प्रभावित विभाग और बहस
मुख्य रूप से शिक्षा विभाग, स्थानीय तहसीली कार्यालय और स्वास्थ्य सेवाओं में यह दुरुपयोग देखने को मिला। कुछ स्कूलों में शिक्षक पदों पर ‘करुणात्मक नियुक्ति’ के तहत कई अनभिज्ञ व्यक्तियों को नियुक्त किया गया, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा। इसी प्रकार, कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ को भी इस माध्यम से नियुक्त किया गया, जिससे सेवा की गुणवत्ता में कमी आई।
राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर अलग‑अलग रुख अपनाया। विपक्षी पार्टियों ने सरकार की धीमी कार्यवाही की आलोचना की और अधिक पारदर्शी प्रक्रिया की माँग की। वहीं, ruling party के सांसदों ने कहा कि यह कदम ‘सच्चे’ करुणा‑मुक्त नियुक्तियों को ही साकार करेगा और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विभागीय अधिकारियों को अभी तक आधिकारिक तौर पर सस्पेंड या बर्खास्त नहीं किया गया है, लेकिन कई साक्षी और दस्तावेज़ों की कमी के कारण यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है। वैद्यकीय जांचों में यह भी उजागर हुआ कि कुछ फर्जी रोगी रिपोर्टें सीधे निजी क्लिनिकों से खरीदी गई थीं।
जांच के दौरान एक संदिग्ध ने बताया कि वह ‘स्थानीय राजनेता के दबाव’ के कारण इस प्रक्रिया में भाग ले रहा था। इस बयान से यह सवाल उठता है कि क्या यह घोटाला सिर्फ व्यक्तिगत लाभ से जुड़ा है या राजनीतिक कूटनीति का भी हिस्सा है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन आवेदन प्रणाली को मजबूत करने, दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बायोमैट्रिक स्कैनिंग लागू करने और ‘करुणात्मक नियुक्ति’ को केवल अत्यंत आवश्यक केसों तक सीमित रखने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम सरकारी भर्ती को पारदर्शी बनाने और सच्ची जरूरतमंदों तक सहायता पहुँचाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।