कम्पाउंड रैंकिंग राउंड – क्या है और क्यों जरूरी?

जब बात कम्पाउंड रैंकिंग राउंड, आर्चरी प्रतियोगिताओं में शुरुआती सीडिंग तय करने वाला चरण की आती है, तो सबसे पहले समझना चाहिए कि यह राउंड मूलतः स्कोरिंग पर आधारित होता है। यह आर्चरी, धनु और तीर से लक्ष्य में अंक पाने वाला ओलिंपिक खेल का हृदय है, और विशेष रूप से पैरालिम्पिक, विकलांग एथलीटों के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल मंच में मिश्रित टीम कॉम्पाउंड इवेंट में इसका महत्व और बढ़ जाता है।

यह कम्पाउंड रैंकिंग राउंड लगातार प्रतियोगियों की कुल अंक जमा करके उनका क्रम तय करता है, जिससे टूर्नामेंट में वे किस पोजिशन से खेलेंगे, यह स्पष्ट हो जाता है। साधारण भाषा में कहा जाए तो "रैंकिंग राउंड निर्धारित करता है प्रतिस्पर्धियों की सीडिंग" – यही पहला सेमांटिक त्रिपल है। दूसरा त्रिपल यह है कि "आर्चरी का रैंकिंग राउंड स्कोरिंग नियम अलग होते हैं"; यहाँ प्रत्येक तीर के हिट की दूरी और सटीकता को 10 से 1 के बीच अंक दिया जाता है। तीसरा त्रिपल: "पैरालिम्पिक में रैंकिंग राउंड चयन प्रक्रिया को प्रभावित करता है", जिससे एथलीटों को आगे की राउंड में प्रवेश का मौका मिलता है।

रैंकिंग राउंड में सामान्यतः 72 तीर (36 तीर दो चरणों में) फेंके जाते हैं और कुल स्कोर 720 तक हो सकता है। इस स्कोरिंग सिस्टम को कई बार "फ़ुल 720" कहा जाता है, जो सबसे बेहतरीन प्रदर्शन को दर्शाता है। शॉट्स की दूरी अक्सर 70 मीटर तय की जाती है, और लक्ष्य पर 10‑आँक का केंद्र सबसे छोटा होता है, जो दिखाता है कि एथलीट की सटीकता कितनी है।

अब आते हैं मिश्रित टीम कॉम्पाउंड आर्चरी, पुरुष‑और‑महिला एथलीटों की संयुक्त टीम जो पैरालिम्पिक में प्रतिस्पर्धा करती है की बात पर। इस फॉर्मेट में रैंकिंग राउंड का स्कोर सीधे टीम की कुल रैंकिंग बनाता है, जिससे कोच निर्णय लेते हैं कि कौन‑से एथलीट एक साथ मुकाबला करेंगे। इस कारण रैंकिंग राउंड की तैयारी में व्यक्तिगत अभ्यास के साथ टीम सिम्युलेशन भी शामिल होते हैं। कई भारतीय एथलीट, जैसे शीतल देवी, ने इस चरण में मजबूत प्रदर्शन कर मिश्रित टीम को मेडल जीतने में मदद की है।

इंडियन आर्चरी एसोसिएशन (ASA) ने रैंकिंग राउंड की तैयारी के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम जारी किए हैं। इनमें शारीरिक conditioning, आँख‑हाथ समन्वय, और मानसिक दृढ़ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हर सप्ताह 4‑5 बार अभ्यास सत्र होते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक स्कोरिंग बोर्ड के साथ रियल‑टाइम फीडबैक मिलता है। यह तकनीकी सहायता एथलीट को अपनी त्रुटि तुरंत पहचानने और सुधारने में मदद करती है।

वर्ल्ड आर्चरी फेडरेशन (World Archery) के नियमावली में रैंकिंग राउंड को "Qualification Round" कहा गया है और यह सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अनिवार्य है। नियम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि प्रत्येक तीर को 10‑आँक, 9‑आँक आदि में वर्गीकृत किया जाएगा, और लक्ष्य के रंग‑विन्यास के आधार पर स्कोर निर्धारण होता है। इन नियमों की सख्ती से पालना करने से स्कोर में पारदर्शिता रहती है और सभी एथलीट एक समान मंच पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

प्रौद्योगिकी की मदद से अब रैंकिंग राउंड में इलेक्ट्रॉनिक टार्गेट्स का उपयोग बढ़ रहा है। सेंसर‑आधारित सिस्टम तीर के फेंकते ही सटीक स्थान का पता लगाते हैं और स्क्रीन पर तुरंत अंक दिखाते हैं। इससे मूल्यांकन तेज़ और त्रुटिरहित होता है, और दर्शकों को भी वास्तविक‑समय में मैच का रोमांच महसूस होता है। यह डिजिटल परिवर्तन आर्चरी को अधिक युवा दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना रहा है।

जैसे-जैसे आप आगे स्क्रॉल करेंगे, नीचे के लेखों में देखेंगे कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में कम्पाउंड रैंकिंग राउंड के परिणाम कैसे बदलते हैं, खिलाड़ियों की तैयारी के रहस्य क्या हैं, और इस राउंड के आधार पर टीम चयन कैसे होता है। साथ ही भारत की हालिया जीत, अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड, और रैंकिंग राउंड से जुड़ी विशेषज्ञ टिप्स भी मिलेंगे। आइए, इस गाइड के साथ आप अपनी आर्चरी यात्रा को एक नया दिशा‑निर्देश दें।

29

अग॰

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारतीय तीरंदाज शीतल देवी ने कम्पाउंड रैंकिंग राउंड में किया दूसरा स्थान प्राप्त

भारतीय पैरा-आर्चर शीतल देवी, जो दुर्लभ जन्मजात विकार फोकोमेलिया से पीड़ित हैं और जिनके दोनों हाथ नहीं हैं, ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में अहम सफलता हासिल की। 17 वर्षीय शीतल देवी ने महिलाओं के ओपन कम्पाउंड क्वालिफिकेशन राउंड में दूसरा स्थान प्राप्त किया, और वह विश्व रिकॉर्ड से मात्र एक अंक दूर रहीं।

और देखें