डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – विज्ञान, शिक्षा और प्रेरणा

जब बात डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक और शिक्षाविद्, जिन्हें अक्सर ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है. अग्रज्य की, तो उनके योगदान विज्ञान, शिक्षा और प्रेरणा के क्षेत्रों में गहरा असर रखते हैं। उनका जीवन कहानी उन लोगों के लिए रोडमैप है जो बड़े सपने देखना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने खुदे‑से‑सिर्फ़ तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव भी हासिल किया।

विज्ञान में उनका योगदान

विज्ञान, भौतिक, रासायनिक और अंतरिक्ष अनुसंधान के सभी शाखाओं को समेटने वाला क्षेत्र में कलाम का काम आज भी जीवित है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में रॉकेट प्रौद्योगिकियों को आकार दिया, और अपने लेखों में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया। इस वजह से भारत ने अंतरिक्ष में कई मील के पत्थर हासिल किए, जैसे कि पहला शटल लॉन्च। उनका मानना था कि विज्ञान सिर्फ प्रयोगशालाओं में नहीं, बल्कि ग्रामीण स्कूलों में भी पॉपुलर होना चाहिए, इसलिए उन्होंने ‘इंटरैक्टिव लर्निंग’ मॉडल पेश किया, जिससे बच्चे सीधे‑सीधे प्रयोग कर सकें। विज्ञान ने भारतीय रक्षा को भी मजबूत किया, क्योंकि उनके रॉकेट डिजाइन ने राष्ट्रीय सुरक्षा में नया आयाम जोड़ा।

वैसे, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का विज्ञान से जुड़ा एक और पहल यह था कि उन्होंने युवाओं को अंतरिक्ष प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे कई छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर पाए। यह सब दिखाता है कि विज्ञान न केवल तकनीकी प्रगति, बल्कि सामाजिक उत्थान का भी साधन है।

शिक्षा के प्रति उनका जुनून

शिक्षा, जिम्मेदारियों और नैतिक मूल्यों के साथ ज्ञान का प्रसारण के लिए कलाम ने ‘इन्कुलेशन सेंटर’ पहल शुरू की, जहां छात्र प्रयोगशालाओं में हाथ‑से‑काम कर सकते थे। उनका मानना था कि शिक्षण केवल किताबों तक सीमित नहीं होना चाहिए; वास्तविक अनुभव ही समझदारी को गहरा बनाता है। उन्होंने ‘विज्ञान और नागरिकता’ जैसे पाठ्यक्रम विकसित किए, जो विज्ञान को नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों से जोड़ते हैं। इस तरह की सीखने की विधि ने शिक्षकों को भी नई दिशा दी, क्योंकि वे अब पठनीय सामग्री के साथ प्रयोगात्मक सत्र भी आयोजित कर रहे थे। शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए उन्होंने कई सम्मेलनों में भाग लिया और स्कूलों में ‘विचार मंच’ चलाए, जहाँ विद्यार्थी अपने सवाल पूछ सकते थे। इस इंटरैक्टिव सत्रों ने छात्रों की जिज्ञासा को जलाया और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया। उनका ‘समय में सीखना’ मॉडल बताता है कि सीखने का सबसे अच्छा समय अभी है, चाहे आप 10 वर्ष के हों या 60.

प्रेरणा का स्रोत

प्रेरणा, व्यक्तियों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करने की प्रक्रिया के मामले में उनका जीवन एक उदाहरण है। उन्होंने कई किताबें लिखी जैसे ‘विज्ञान और नागरिकता’, ‘उड़ना है तो उडान भरो’, और ‘युवा शक्ति’, जो आज के युवा को आत्मविश्वास और दृढ़ता सिखाते हैं। ये रचनाएँ केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि लागू करने के लिए हैं; प्रत्येक अध्याय में व्यावहारिक टिप्स और व्यक्तिगत कहानियाँ होती हैं जो पाठक को कार्रवाई की ओर ले जाती हैं। उनके विचारों ने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी कई छात्रों को प्रोत्साहित किया। जब वे स्कूलों में आते, तो उनके सरल लेकिन प्रभावी संवाद से कक्षा के माहौल में ऊर्जा भर जाती थी। इस ऊर्जा ने कई लोगों को विज्ञान, इंजीनियरिंग और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उनका संदेश यही है – “सपनों को साकार करने का सबसे अच्छा तरीका है, उन्हें कार्य में बदलना”। इन तीन मुख्य स्तम्भों – विज्ञान, शिक्षा और प्रेरणा – के माध्यम से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को एक नई दिशा दी, जहाँ तकनीक और मानवीय मूल्य साथ-साथ चलते हैं। अब आप नीचे के लेखों में इन विचारों के विविध पहलुओं को देख सकते हैं, जो वर्तमान समाचार, विश्लेषण और गहरी सोच को मिलाकर एक समृद्ध संग्रह बनाते हैं।

मिसाइल मैन: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी

के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)

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मिसाइल मैन: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें 'मिसाइल मैन' के नाम से जाना जाता है, की जीवनगाथा प्रेरणादायक है। उनका जीवन समय-समय पर गरीबी और वित्तीय संकट से घिरा रहा, लेकिन उन्होंने अपने बड़े सपनों और कठोर परिश्रम से इन सब पर विजय प्राप्त की। उनके वैज्ञानिक योगदान और देशभक्ति ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा। उनका जीवन आज भी नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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