जब हम बजट, देश की वार्षिक वित्तीय योजना, जिसमें राजस्व संग्रह, कर और खर्चों की रूपरेखा शामिल है की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह केवल आंकड़ों का समूह नहीं, बल्कि नीति‑निर्माण का मूल आधार है। इसे अक्सर वित्तीय योजना कहा जाता है, क्योंकि यह सरकार को यह तय करने में मदद करता है कि कितनी राशि संग्रहित करनी है और उसे कहाँ‑कहाँ खर्च करना है। इस प्रक्रिया में वित्तीय नीति, बजट तैयार करने की रणनीति और लक्ष्य निर्धारित करने वाला ढाँचा सीधे बजट को shape देती है, जबकि सरकारी खर्च, विभागों, योजनाओं और परियोजनाओं में आवंटित फंड बजट के प्रमुख घटक होते हैं। इस त्रिकोणीय संबंध को हम सरल शब्दों में कह सकते हैं: बजट में राजस्व और खर्च दोनों शामिल हैं; वित्तीय नीति बजट को दिशा देती है; और सरकारी खर्च बजट के माध्यम से आर्थिक परिणाम लाता है। यही कारण है कि बजट के हर बदलाव का असर कर योजना, सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढांचा और यहाँ तक‑कि आम नागरिक की जेब पर भी पड़ता है।
एक सफल बजट बनाना केवल आँकड़ों को जोड़‑घटाव करने से नहीं होता; इसमें कई सहायक तत्व काम करते हैं। बजट को समझने के लिए हमें कर योजना, राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा तैयार किए गए टैक्स नियम और छूट को देखना चाहिए, क्योंकि यह राजस्व पक्ष का मूल स्रोत है। कर योजना में बदलाव सीधे बजट की आय को प्रभावित करते हैं—जैसे IGST में बढ़ोतरी या आयकर स्लैब में सुधार। दूसरी ओर, आर्थिक प्रक्षेपण, GDP, मुद्रास्फीति और विक्रय वृद्धि के अनुमान जो बजट को दिशा देते हैं तय करते हैं कि अगले वित्तीय वर्ष में कितनी खर्च करने की गुंजाइश है। जब आर्थिक प्रक्षेपण मजबूत होते हैं, तो सरकार अधिक निवेश‑सहायता, स्वास्थ्य या शिक्षा योजनाओं पर खर्च बढ़ा सकती है। इसके विपरीत, यदि मुद्रास्फीति या आर्थिक मंदी का अनुमान है, तो खर्च में कड़ाई और कर‑संकलन में सुधार की जरूरत पड़ती है। पिछले कुछ महीनों में हमने देखा कि MCX पर सोने की कीमतों में परिवर्तन, Nifty‑50 के उतार‑चढ़ाव और विभिन्न क्षेत्रों में स्टॉक‑मार्केट की हल्की गिरावट सभी बजट के आत्म-विश्वास को प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि बजट तैयार करते समय नीति निर्माता बाजार के संकेत, अंतर्राष्ट्रीय कीमतें और घरेलू आर्थिक डेटा को एक साथ देखते हैं।
इन सभी तत्वों का जटिल बुनियादी तालमेल ही बजट को प्रभावी बनाता है। मूल रूप से, बजट एक व्यापक दस्तावेज़ है जिसमें राजस्व, खर्च, कर‑नीति, आर्थिक प्रक्षेपण और दीर्घकालिक विकास लक्ष्य सभी एक साथ जुड़े होते हैं। हमारी साइट पर आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न समाचार, जैसे सोने‑चांदी की कीमतें, Nifty‑50 की चाल, या अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डॉलर की स्थिति, बजट के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती हैं। आगे पढ़ते‑हुए आप समझ पाएंगे कि बजट की योजना, कार्यान्वयन और प्रभाव का विश्लेषण कहाँ‑कहाँ से किया जा रहा है, और कौन‑से क्षेत्रों में आपका व्यक्तिगत या व्यावसायिक निर्णय असर डाल सकता है। अब चलिए, नीचे दी गई लेख‑संग्रह की ओर बढ़ते हैं, जहाँ प्रत्येक लेख बजट से संबंधित एक विशेष पहलू को विस्तार से बताता है।
के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)
टीएमसी नेता अभिषेक बैनर्जी ने लोकसभा में केंद्रीय बजट की निंदा की और इसे 'जनविरोधी' बताया। उन्होंने बजट को एनडीए सहयोगियों को खुश करने के लिए बनाया गया बताया और भाजपा सरकार पर 'धोखा,' 'बेरोजगारी,' और 'त्रासदी' का आरोप लगाया। बैनर्जी ने यह भी कहा कि बजट का कोई दृष्टिकोण नहीं है और यह आम जनता के हितों की अनदेखी करता है।
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