When working with 18वीं लोकसभा, भारत की संसद की निचली सभा, जो 2024 के सामान्य चुनावों के बाद बनी, पाँच साल तक विधायी कार्य करती है. Also known as 18th Lok Sabha, it विधेयकों को चर्चा, संशोधन और पारित करने की मुख्य शक्ति रखती है. The भारत संसद, दो सदनों – लोकसभा और राजसभा – से बनी एक विधायी निकाय है and the सांसद चुनाव 2024, जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया है together shape the political landscape.
एक बार जब 18वीं लोकसभा गठित हो जाती है, तो उसके लोकसभा सदस्य, देश के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए प्रतिनिधि होते हैं, जो राष्ट्रीय नीतियों को तय करने में भाग लेते हैं प्रमुख भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक सदस्य को अपनी‑अपनी चयन व्यवस्था, हिस्सेदारी और मत प्रतिशत के आधार पर पहचान मिलती है, जिससे संसद में विविध विचारों का मिश्रण बनता है। इससे उत्पन्न हुए नीति दिशा को समझने के लिये, पहले यह देखना जरूरी है कि किन‑किन दलों ने सबसे अधिक सीटें जीतीं और गठबंधन की संरचना कैसे बनी।
आज की 18वीं लोकसभा में राजनीतिक दल, भाजपा, कांग्रेस, बीजेपी‑सहयोगी गठबंधन, तथा कई क्षेत्रीय पार्टीज़ शामिल हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करती हैं। ये दल न केवल चुनावी जीत पर ध्यान देते हैं, बल्कि सार्वजनिक निधि, रोजगार, कृषि पुनरुद्धार और विदेशी नीति जैसे बंधनों पर भी रुख बनाते हैं। पार्लियामेंटरी बहसों में अक्सर आर्थिक सुधार, शहरी विकास और स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे जनता के जीवन‑स्तर में सीधे असर पड़ता है। इस प्रकार, राजनीतिक दल और लोकसभा सदस्य के बीच का संबंध नीति निर्माण की गति तय करता है।
एक और महत्वपूर्ण संबंध है विधायी कार्यकाल, है पाँच साल का तय अवधि जिसके दौरान सांसद को अपने चुनावी वादों को लागू करने का अवसर मिलता है और अनुपालन तंत्र, जैसे प्रश्नवोत्तरी सत्र, कमेटी रिपोर्ट और सार्वजनिक सुनवाई, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के साधन हैं। जब इन दोनों का समन्वय ठीक रहता है, तो कानून बनते हैं, बजट पास होता है और सामाजिक कल्याण के प्रोजेक्ट्स आगे बढ़ते हैं। इसलिए, 18वीं लोकसभा की प्रभावशीलता को आँकने के लिये इस दो‑स्तरीय संरचना को देखना आवश्यक है।
जैसे‑जैसे राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां बदलती हैं, 18वीं लोकसभा को भी नई प्राथमिकता देने की जरूरत होती है। वर्तमान में ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन पर बहस तेज़ है, क्योंकि ये मुद्दे सीधे जनता की जिंदगियों को प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में, विशेषज्ञों का मानना है कि संसद में विशेषज्ञ कमेटियों की भूमिका बढ़नी चाहिए, जिससे तकनीकी‑आधारित नीतियों का निर्माण हो सके। इसलिए, आने वाले सत्रों में हम देखेंगे कि कैसे नई विधान प्रेरणाएँ पार्लियामेंटरी प्रक्रिया में समाहित होती हैं।
ऊपर बताई गई सभी बिंदु इस टैग पेज पर मिलने वाले लेखों की दिशा तय करते हैं। आप इस संग्रह में 18वीं लोकसभा के प्रमुख सदस्यों की प्रोफ़ाइल, चुनावी आँकड़े, नीतिगत विश्लेषण और संसद के अंदर‑बाहर की तेज़ खबरें पा सकते हैं। इन जानकारियों के ज़रिए आप भारतीय राजनीति के नवीनतम रुझानों को समझ सकते हैं और आगामी चुनौतियों के लिये खुद को तैयार कर सकते हैं। अगले सेक्शन में प्रस्तुत लेखों को पढ़ें और खुद देखें कि 18वीं लोकसभा आपके रोज़मर्रा के सवालों पर कैसे असर डाल रही है।
के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)
18वीं लोकसभा के पहले सत्र का प्रारंभ हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भूपेंद्र यादव को प्रोटेम स्पीकर के पद की शपथ दिलाई। पीएम मोदी और राहुल गांधी दोनों ने सदन में एक-दूसरे का अभिवादन किया। विपक्ष ने संविधान की प्रतियां लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया।
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