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के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)
भारत की 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरु हो चुका है। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भूपेंद्र यादव को प्रोटेम स्पीकर के पद की शपथ दिलाई। यह कार्यक्रम बेहद गरिमामय माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता और सांसद शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्होंने शपथ ग्रहण के पश्चात सदन में उपस्थित सभी सदस्यों का अभिवादन किया और हाथ जोड़कर नमस्कार किया। पीएम मोदी के इस अभिवादन का के सभी सदस्य, चाहे वह पक्ष में हों या विपक्ष में, ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
सदन में राहुल गांधी अपनी सीट पर संविधान की एक प्रति लेकर बैठे थे। शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने पीएम मोदी का मुस्कुराते हुए अभिवादन किया। राहुल गांधी के इस कदम को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है जिसमें वह संविधान के प्रति अपनी निष्ठा और केंद्र सरकार पर आरोप जताना चाहते थे।
विपक्ष के सांसदों ने हाथों में संविधान की प्रतियां लेकर संसद भवन के बाहर मार्च किया और इसके बाद घर में प्रवेश किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनका विरोध सरकार द्वारा संविधान को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ है। उन्होंने पीएम मोदी पर संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। 'INDIA' गठबंधन के अंतर्गत सभी मुख्य विपक्षी दल इस विरोध में शामिल हुए।
सत्र के पहले दिन कुल मिलाकर 280 सांसदों से शपथ लेने की उम्मीद जताई गई। लेकिन, अटकले लगाई जा रही हैं कि यह सत्र बेहद तगड़े बहस और टकराव से भरा हो सकता है। विपक्ष के मुद्दों में NEET पेपर लीक, संवैधानिक अधिकारों का हनन, और सरकारी नीतियों का विरोध प्रमुख हैं।
इस लोकसभा सत्र की शुरुआत के साथ ही कई अहम मुद्दे उठने की संभावना है। सरकार द्वारा कोरोना महामारी के पश्चात आर्थिक स्थिरता, रोजगार, कृषि और विकास के मसलों पर नए प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं। इसके साथ ही, विपक्ष द्वारा संवैधानिक मुद्दों पर बहस और विरोध जारी रहने की संभावना बनी हुई है। अब देखना यह होगा कि इन सभी मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों किस प्रकार से जनहित के मुद्दों पर आगे बढ़ते हैं।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र का प्रारंभ दर्शाता है कि आने वाले दिनों में सदन एक उन्मुक्त और जीवंत लोकतांत्रिक बहस का साक्षी बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी के अभिवादन और राहुल गांधी की स्वभाविक प्रतिक्रिया इस बात का संकेत हैं कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद व्यावहारिक संवाद की एक संभावना विद्यमान है।
जहां एक ओर सरकार अपनी योजनाओं और नीतियों को आगे बढ़ाने की कवायद में है, वहीं विपक्ष संवैधानिक सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर दे रहा है। उम्मीद है कि यह सत्र जनहित के मुद्दों पर सार्थक और मुद्दापरक बहस का मंच बनेगा, जिसमें देश के हर नागरिक की आवाज को सही मंच मिलेगी।