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के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)
फ्रांस के हालिया चुनावों के परिणाम ने देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। जहां एक ओर मरीना ली पेन की फार-राइट नेशनल रैली (आरएन) की जीत की अपेक्षा की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर वामपंथी गठबंधन ने सभी को चौंकाते हुए ये चुनाव जीत लिया। जीन-लुक मेलेंचॉन, जो वामपंथी दल के प्रमुख चेहरे हैं, ने अपनी सफलता का दावा किया और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को हार स्वीकार करने पर जोर दिया।
चुनाव परिणाम भाजपा के लिए विशेष प्रभाव रखता है क्योंकि यह वामपंथी गठबंधन था जो चुनाव में विजयी हुआ, लेकिन उनके पास पूर्ण बहुमत नहीं है। इससे संसद में अस्थिरता और प्रभावी सरकार चलाने में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इस चुनाव में एक दिलचस्प तथ्य यह था कि चुनिंदा स्थानों पर 200 से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी दावा वापसी की, ताकि फार-राइट आरएन की संभावित जीत को रोका जा सके। यह कदम आरएन की हार सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था। इस रणनीति ने चुनाव परिणाम पर निर्णायक प्रभाव डाला, जिससे स्पष्ट होता है कि फ्रांस की जनता और राजनीतिक तंत्र फार-राइट की बढ़ती ताकत से कितना चिंतित है।
आरएन ने ग्रामीण इलाकों में कुछ हद तक सफलता पाई, लेकिन उम्मीदवारों के विवादास्पद बयानों और डिबेट्स में कमजोर प्रदर्शन के कारण महत्वपूर्ण सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव के बाद का समय भी राजनीतिक उथलपुथल से भरा रहा। प्रधानमंत्री गैब्रियेल ऐटल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे सरकार में अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, राष्ट्रपति मैक्रों ने अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है और उन्हें स्थिरता बनाए रखने के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा है।
नई नेशनल असेंबली 10 दिनों में बैठक करने वाली है और इस समय का प्रयोग सरकार शांतिपूर्ण और स्थिर व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर रही है, खासकर पेरिस ओलंपिक्स के उत्सव को ध्यान में रखते हुए।
अभी तक चुनाव के बाद जन आक्रोश के कुछ ही घटनाएं सामने आई हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि समाचार बदलाव को लेकर जनता अभी तनिक शांत है। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय भी इस परिणाम को उत्सुकता से देख रहे हैं और मैक्रों की अगली चाल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस नए राजनीतिक परिदृश्य में फ्रांस शांतिपूर्ण और प्रभावी शासन की दिशा में अग्रसर हो सकेगा।
यह देखा जाना बाकी है कि वामपंथी गठबंधन कैसे अपने शासन को संगठित करता है और संतुलन बनाए रखता है। इस बीच, मतदाता और राजनीतिक विश्लेषक दोनों मैक्रों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं जो कि देश के भविष्य की दिशा निर्धारित करेगी।
फ्रांस के हालिया चुनाव परिणाम अपेक्षित पाठ से बहुत अलग रहे हैं। वामपंथी गठबंधन ने चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल की है, बावजूद इसके की उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला। मरीना ली पेन की पार्टी को चुनाव में बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा। आगामी समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह राजनीतिक बदलाव देश को किस दिशा में ले जाता है और क्या राष्ट्रपति मैक्रों इसे स्थिरता प्रदान कर सकते हैं।