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के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)
गुजरात हाईकोर्ट ने फिल्म 'महाराज' को लेकर दिए गए अपने महत्वपूर्ण निर्णय में, नेटफ्लिक्स को इस फिल्म को रिलीज करने की मंजूरी दी है। इस फिल्म पर पहले अस्थाई रोक लगाई गई थी, लेकिन अब न्यायमूर्ति संगीता के. विषेण ने इसे हटाते हुए अपना निर्णय सुनाया है। उन्होंने बताया है कि इस फिल्म में किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कोई सामग्री नहीं है।
फिल्म 'महाराज' 1862 के महाराज मानहानि मामले पर आधारित है। यह मामला सोशल रिफॉर्मर कर्सनदास मुलजी से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय के एक प्रमुख व्यक्ति, जदुनाथजी, द्वारा यौन शोषण के खुलासे किए थे। मुलजी के इस खुलासे के बाद उनपर मानहानि का मामला दर्ज किया गया था। यह फिल्म 2013 में प्रकाशित सौरभ शाह की किताब पर आधारित है और इसमें कर्सनदास मुलजी के सामाजिक सुधार के संघर्ष को दिखाया गया है।
न्यायमूर्ति संगीता के. विषेण ने फिल्म का अवलोकन करने के बाद पाया कि इसमें वैष्णव समाज या किसी अन्य धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाली कोई बात नहीं है। उन्होंने अपने अवलोकन में कहा कि फिल्म में दर्शाई गई घटनाएं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं और यह फिल्म सामाजिक सुधार के संघर्ष को दर्शाती है।
फिल्म का सरलीकरण करते हुए न्यायमूर्ति विषेण ने कहा कि जब 2013 से यह किताब बाजार में उपलब्ध है और इस पर कोई विवाद नहीं उठा है, तो फिल्म पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है।
गौरतलब है कि 'महाराज' को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से भी मंजूरी मिल चुकी है। बोर्ड ने फिल्म की सामग्री का अवलोकन करके इसे प्रमाणित किया है, जिसके बाद अब नेटफ्लिक्स पर इसकी रिलीज के लिए कोई बाधा नहीं है।
यह फिल्म भारतीय समाज में सुधार के संघर्ष के एक महत्वपूर्ण अध्याय को उजागर करती है। कर्सनदास मुलजी की निडरता और साहस को सलाम करता हुआ यह फिल्म हमारे समाज को यह संदेश देती है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुलजी ने सामाजिक बुराइयों को उजागर करके समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया और यह फिल्म उस प्रयास को दर्शकों तक पहुंचाती है।
फिल्म 'महाराज' इतिहास के एक महत्वपूर्ण किस्से को विस्तृत रूप में दर्शकों के सामने लाती है। इसमें 1862 के दौरान कर्सनदास मुलजी द्वारा किए गए सामाजिक सुधार के कार्यों को प्रमुखता से दर्शाया गया है। फिल्म दर्शकों को उस दौर के समाज की समस्याओं और उनके समाधान के प्रयासों के बारे में गहरी जानकारी देती है।
अंत में, गुजरात हाईकोर्ट के इस निर्णय ने फिल्म 'महाराज' को प्रदर्शित करने का रास्ता साफ कर दिया है। यह फैसला न केवल न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज को भी यह बताता है कि सच्चाई की लड़ाई में किसी भी समुदाय की भावना को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए।