3 दिसंबर, 2025 से उत्तर प्रदेश के हर जिले में भारी सर्दी की चेतावनी जारी कर दी गई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आज जारी अपने नवीनतम अनुमान में कहा है कि इस बार की ठंड केवल ठंडी नहीं, बल्कि चार से पांच दिन तक सामान्य से अधिक लंबी रहने वाली है। यह तब होगा जब देश के उत्तरी हिस्से में तापमान अचानक 4-7°C नीचे गिरने लगेगा — जिसका असर सिर्फ लोगों के जीवन पर ही नहीं, बल्कि कृषि, बिजली और आवागमन पर भी पड़ेगा।
क्यों इतनी चिंता?
यह सिर्फ एक ठंडी लहर नहीं, बल्कि इस साल की तीसरी बड़ी मौसमी चेतावनी है। 8 नवंबर को IMD ने राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में रात के तापमान में 4-7°C की कमी की भविष्यवाणी की थी। 10 नवंबर को यह चेतावनी मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्से तक फैल गई। अब, जब यह चक्र उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहा है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अनुक्रमिक घटना है — जैसे एक तापमान की लहर जो धीरे-धीरे पूरे गंगा मैदान को घेर ले रही है।
कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 18 जिले — जिनमें लखीमपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, बलिया और बांदा शामिल हैं — पिछले सितंबर में भारी बारिश के लिए चेतावनी दिए जा चुके हैं। अब ये ही जिले ठंड के सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं। वजह? ये क्षेत्र गंगा के निचले हिस्से पर स्थित हैं, जहां रात के समय हवा धीमी होकर ठंड को जमा कर लेती है। यहां के किसान बताते हैं कि अगर यह ठंड लगातार 7 दिन तक रही, तो रबी की फसलें — खासकर गेहूं और सरसों — को नुकसान हो सकता है।
IMD का अनुमान कितना भरोसेमंद है?
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 3 दिन की भविष्यवाणी की सटीकता 82% है, लेकिन 7 दिन की भविष्यवाणी केवल 67% है। इस बार, उन्होंने एक अलग तरीके से अनुमान लगाया है — उनके पास 550 सतही वेधशालाएं, 15 डॉपलर मौसम रडार और 18 ऊपरी हवा वेधशालाएं हैं। उन्होंने अपने अनुमानों को अक्टूबर के अंत तक के डेटा के आधार पर तैयार किया है। लेकिन एक बात साफ है: यह ठंड सामान्य से काफी अलग है। पिछले 10 सालों में, उत्तर प्रदेश में दिसंबर के पहले सप्ताह में केवल दो बार इतनी लंबी ठंड आई है — 2018 और 2022 में।
लोगों को क्या करना चाहिए?
स्वास्थ्य विभाग ने बुजुर्गों, बच्चों और दिल के रोगियों के लिए अलग से सलाह दी है। अस्पतालों में पहले से ही श्वास संबंधी मामलों में 30% की बढ़ोतरी देखी गई है। बिजली कंपनियां भी तैयार हैं — दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग दिसंबर के पहले सप्ताह में 22% तक बढ़ सकती है। राज्य सरकार ने आपातकालीन शीतलन केंद्र खोलने की योजना बनाई है, जहां बिना घर वाले लोग गर्मी पा सकें।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का हिस्सा है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक अकेली घटना नहीं है। पिछले 20 वर्षों में, उत्तर भारत में ठंडी लहरों की आवृत्ति 35% बढ़ गई है, जबकि उनकी अवधि 2-3 दिन से बढ़कर 5-7 दिन हो गई है। इसका कारण शायद हिमालय के पास जमीन का ठंडा होना है, जिससे ठंडी हवाएं आसानी से तलहटी में घुस जाती हैं। यह एक ऐसा नमूना है जो अब बार-बार दोहराया जा रहा है — जैसे कि मौसम अपने पुराने नियम भूल रहा है।
अगले कदम क्या हैं?
अगले 48 घंटों में IMD एक विशेष ब्रीफिंग आयोजित करेगा, जिसमें राज्य सरकारें, वित्त विभाग और राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया दल शामिल होंगे। एक नया अलर्ट सिस्टम भी लागू होगा — जिसमें मोबाइल ऐप और स्कूलों के माध्यम से अलर्ट भेजे जाएंगे। अगर तापमान -2°C तक गिर जाए, तो सभी स्कूल बंद हो जाएंगे। रेलवे ने भी घोषणा की है कि वे जल्द ही ट्रेनों के लिए बर्फीली रेल लाइनों की निगरानी के लिए विशेष टीमें तैनात करेंगे।
पिछले साल क्या हुआ था?
2024 में, उत्तर प्रदेश में दिसंबर के पहले हफ्ते में 127 लोगों की मौत ठंड के कारण हुई थी। बर्दाना और बागपत में कई लोगों ने गर्मी के लिए कोयले का इस्तेमाल किया, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के मामले बढ़ गए। इस बार सरकार ने गरीब घरों के लिए 50,000 गर्म कंबल और 15,000 गैस स्टोव वितरित करने का फैसला किया है। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं — यह सिर्फ एक बंदिश है। असली समाधान तब आएगा जब हम शहरों में गर्मी के लिए बेहतर इमारतों का निर्माण करेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या उत्तर प्रदेश के सभी जिले इस ठंडी लहर से प्रभावित होंगे?
हां, उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से हर एक प्रभावित होगा, लेकिन पूर्वी जिले — जैसे वाराणसी, गोरखपुर और बांदा — सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ये क्षेत्र गंगा के निचले हिस्से पर स्थित हैं, जहां रात के समय ठंडी हवाएं जमीन पर बरकरार रहती हैं। इन जिलों में पिछले सितंबर में भारी बारिश हुई थी, जिससे मिट्टी अभी भी नम है — जो ठंड को और बढ़ा देता है।
इस ठंडी लहर से बचने के लिए क्या उपाय करें?
बुजुर्गों और बच्चों को बाहर निकलने से बचना चाहिए, खासकर सुबह के 6 बजे से 9 बजे तक। घरों में गर्म कपड़े पहनें, बिजली के गर्म करने वाले उपकरणों का उपयोग करें, और गैस स्टोव का उपयोग करते समय कमरे का वेंटिलेशन सुनिश्चित करें। अस्पतालों ने श्वास संबंधी बीमारियों के लिए अतिरिक्त दवाओं का भंडार तैयार कर लिया है।
क्या इस ठंड का कृषि पर प्रभाव पड़ेगा?
हां, खासकर रबी फसलों पर। गेहूं, सरसों और चना की फसलें -2°C से नीचे तापमान में नुकसान का शिकार हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह ठंड 5 दिन तक चली, तो उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में 15-20% फसल नुकसान हो सकता है। इसलिए राज्य सरकार ने खेतों में चारा और कृषि विस्तार के लिए फार्मर्स को तत्काल सहायता देने की योजना बनाई है।
क्या इस ठंडी लहर का संबंध जलवायु परिवर्तन से है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि हां। पिछले 20 वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरों की आवृत्ति 35% बढ़ गई है, और उनकी अवधि 2-3 दिन से बढ़कर 5-7 दिन हो गई है। यह बदलाव हिमालय के पास जमीन के तापमान में असामान्य गिरावट और गंगा मैदान में हवाओं के बहाव के बदलाव के कारण हो रहा है। यह एक नया नमूना है — जो अब बार-बार दोहराया जा रहा है।
क्या रेल और हवाई यातायात प्रभावित होगा?
हां, रेलवे ने पहले से ही बर्फीली रेल लाइनों के लिए विशेष टीमें तैनात कर दी हैं। दिल्ली-लखनऊ और लखनऊ-कानपुर रूट्स पर ट्रेनों की देरी की संभावना है। हवाई यातायात में भी धुंध के कारण उड़ानें रद्द हो सकती हैं — खासकर लखनऊ और लखनऊ के निकट के हवाई अड्डों पर। यात्री अपनी यात्रा की योजना बनाते समय अपडेट चेक करें।
IMD का यह अनुमान कितना भरोसेमंद है?
IMD की 3 दिन की भविष्यवाणी 82% सटीक है, लेकिन 7 दिन की भविष्यवाणी केवल 67% है। इस बार, उन्होंने डॉपलर रडार और ऊपरी हवा के डेटा का उपयोग करके अनुमान लगाया है। लेकिन यह एक अनुमान है — अगर उच्च वायुमंडलीय दबाव में अचानक बदलाव आ जाए, तो ठंड की अवधि या तीव्रता बदल सकती है।
टिप्पणि
mohit saxena
ये ठंड तो सिर्फ मौसम की बात नहीं, बल्कि हमारी तैयारी की कमी है। गरीबों को कंबल और स्टोव देना तो अच्छा है, लेकिन घरों की दीवारें गर्मी रोकने वाली क्यों नहीं बनाई जाती? एक बार इमारतों को आइसोलेट कर दो, तो हर साल की ये त्रासदी खत्म हो जाएगी।
दिसंबर 3, 2025 AT 15:35
Sandeep YADUVANSHI
अरे भाई, ये सब ठंड की बात कर रहे हो लेकिन असली समस्या तो ये है कि हम अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पा रहे। जब तक हम अपने घरों में गर्मी के लिए बिजली बर्बाद नहीं करेंगे, तब तक ये चक्र चलता रहेगा। बस एक बार आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाओ - जैसे इन्सुलेटेड विंडोज, और देखो मौसम क्या कहता है।
दिसंबर 4, 2025 AT 15:54
Vikram S
जलवायु परिवर्तन? बस एक और वेस्टर्न फेक न्यूज़ है! हमारे देश में तो पहले से ही ठंड आती थी - 1980 में मैंने गोरखपुर में -5°C देखा था! आजकल के लोग डर के आगे खड़े हो जाते हैं, और फिर इमारतों के लिए पैसे मांगते हैं। बस एक गर्म कपड़ा पहन लो, और दिमाग बंद कर दो!
दिसंबर 5, 2025 AT 19:05
nithin shetty
इम्ड की 7 दिन की फॉरकास्ट 67% सही है... यानी एक तरफ 100% वाली डेटा तो है, दूसरी तरफ आधी आधी भरोसा नहीं। अगर रडार और सैटेलाइट इतने अच्छे हैं, तो फिर एक दिन के लिए भी गलत नहीं होना चाहिए। क्या डेटा को अपडेट करने के लिए कोई ऑटोमेटेड सिस्टम है? या फिर फोन पर एक आदमी बैठकर देख रहा है?
दिसंबर 7, 2025 AT 12:18
Aman kumar singh
हम अपने गांवों में तो ठंड के लिए पहले से तैयार हैं - चूल्हे, गर्म दूध, और बड़े-बड़े कंबल। लेकिन शहरों में लोग एयरकंडीशनर के लिए जीते हैं, और अब ठंड आ गई तो डर गए। ये सिर्फ एक चेतावनी है - अगर हम अपनी जड़ों को याद कर लें, तो ये बात बहुत आसान हो जाएगी।
दिसंबर 7, 2025 AT 19:07
UMESH joshi
कभी-कभी लगता है कि हम ठंड को दुश्मन समझ रहे हैं, जबकि ये तो प्रकृति का हिस्सा है। ये ठंड हमें याद दिलाती है कि हम कितने छोटे हैं। बस इतना करो - एक गर्म कप चाय बनाओ, खिड़की से बाहर देखो, और थोड़ा शांत रहो। कुछ भी नहीं बदलेगा, लेकिन तुम बदल जाओगे।
दिसंबर 9, 2025 AT 04:03
pradeep raj
यह घटना एक अत्यंत संकुचित जलवायविक अनुक्रमणिका के अंतर्गत आती है, जिसमें उच्च वायुमंडलीय धाराओं का अपवर्तन, लैटीट्यूडिनल टेम्परेचर ग्रेडिएंट का असमान वितरण, और बॉरियल एयर मास के अवरोधन के कारण गंगा मैदान में अवरोही वायु प्रवाह बढ़ गया है - जिसके परिणामस्वरूप रात्रि तापमान में असामान्य गिरावट आई है। इसके लिए व्यावहारिक समाधान तो हैं, लेकिन उनका लागू होना बहुत धीमा है।
दिसंबर 9, 2025 AT 14:29
Vishala Vemulapadu
क्या आप जानते हैं कि गैस स्टोव से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के मामले बढ़ रहे हैं? ये तो बस एक बुनियादी बात है - अगर आपका घर बेहतर वेंटिलेटेड नहीं है, तो आप खुद को मार रहे हैं। बिजली के हीटर लगाओ, या फिर बाहर निकलो। ये बात समझने में कोई डिग्री नहीं चाहिए।
दिसंबर 9, 2025 AT 21:22
M Ganesan
इस ठंड का असली कारण क्या है? ये सब एक बड़ा धोखा है! जलवायु परिवर्तन का नाम लेकर देश को लूट रहे हैं। जब तक आप अपने घर में गर्मी नहीं बनाएंगे, तब तक ये बातें चलती रहेंगी। और जो लोग गर्म कंबल दे रहे हैं - वो अपने नाम के लिए हैं, न कि आपके लिए।
दिसंबर 11, 2025 AT 20:05
ankur Rawat
ये ठंड हमें याद दिलाती है कि हम एक दूसरे से जुड़े हैं। अगर तुम्हारे पड़ोसी के पास कोई गर्म कपड़ा नहीं है, तो तुम्हारा एक कंबल भी काम आ सकता है। ये दुनिया इतनी बड़ी है, लेकिन गर्मी तो छोटी चीज़ों से शुरू होती है। बस एक बार बाहर निकलो, और किसी के लिए दरवाज़ा खोल दो।
दिसंबर 13, 2025 AT 02:49
Vraj Shah
दोस्तों, बस एक बात - अगर तुम्हारे घर में गर्मी नहीं है, तो बिजली के हीटर की जगह बैठकर दो चाय पी लो। ये बात सुनकर तुम हैरान होंगे, लेकिन बहुत से लोग इसी तरह से ठंड से बच रहे हैं। बस थोड़ा धैर्य रखो।
दिसंबर 14, 2025 AT 09:32
Kumar Deepak
अच्छा, तो अब ठंड के लिए एप्स भी आ गए? अगले साल क्या बर्फ के लिए डिलीवरी सर्विस भी चलेगी? वैसे भी, इंडियन मौसम विभाग का नाम बदलकर 'भविष्यवाणी विभाग' कर दो - ताकि जब गलत हो जाए, तो लोग आश्चर्य न करें।
दिसंबर 15, 2025 AT 23:45