जब हम पद्म श्री पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा सम्मानित एक प्रमुख नागरिक पुरस्कार है. इसे अक्सर पद्म श्री कहा जाता है, तो इस सम्मान की महत्ता को समझने के लिये हमें इसके राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में भूमिका पर नज़र डालनी चाहिए। पद्म श्री पुरस्कार कला, विज्ञान, खेल, शिक्षा और सामाजिक कार्य जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देता है।
यह सम्मान भारत सरकार की ओर से हर वर्ष माननीय व्यक्तियों को दिया जाता है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। इसके साथ सिविल सम्मान के रूप में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को पहचान मिलती है। इस प्रकार, पद्म श्री पुरस्कार न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों को सराहता है, बल्कि राष्ट्रीय विकास की दिशा में प्रेरणा भी बनता है।
पद्म श्री पुरस्कार का इतिहास 1954 से शुरू हुआ, जब पहला बैज और प्रमाणपत्र प्रदान किया गया था। प्रक्रिया में सरकारी सलाहकार समितियों द्वारा नामांकन की समीक्षा, चयन मानदंडों की जांच और राष्ट्रपति की स्वीकृति शामिल है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता और विविधता को सुनिश्चित करना है, जिससे अलग‑अलग सामाजिक वर्गों के उत्कृष्ट लोगों को अवसर मिले। पुरस्कार प्राप्त करने पर कई विजेता अपने काम में नई ऊर्जा पाते हैं, जिससे उनका प्रभाव क्षेत्र में व्यापक रूप से बढ़ता है।
आजकल पद्म श्री सूची में कलाकार, वैज्ञानिक, खेल कलाकार, उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं, जो भारत के विविध सामाजिक ताने‑बाने को दर्शाते हैं। इस वर्गीकरण से स्पष्ट होता है कि विभागीय विविधता इस सम्मान की प्रमुख विशेषता है। इस तरह, पद्म श्री पुरस्कार को राष्ट्रीय गौरव और प्रेरणा दोनों के रूप में देखा जा सकता है।
नीचे आप पाएँगे नवीनतम पद्म श्री पुरस्कार से जुड़े समाचार, विजेताओं की कहानियाँ और समारोह की झलकियाँ। इन लेखों में पुरस्कार की घोषणा, चयन प्रक्रिया के पीछे की चुनौतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में पद्म श्री प्राप्तकर्ताओं के योगदान का विस्तृत विश्लेषण शामिल है। चलिए, इस संग्रह के माध्यम से पता लगाते हैं कि इस सम्मान ने किस तरह भारतीय समाज को नई दिशा दी है और आने वाले वर्षों में क्या बदलाव लाने की संभावना है।
के द्वारा प्रकाशित किया गया Amit Bhat Sarang साथ 0 टिप्पणियाँ)
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। देबरॉय ने भारतीय अर्थशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ-साथ कई प्रमुख पदों पर काम किया था। उनका जीवन और योगदान भारतीय अर्थनीति के क्षेत्र में अप्रतिम रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें 'विशाल विद्वान' के रूप में श्रद्धांजलि दी।
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