भारतीय अर्थव्यवस्था के ताज़ा रुझान

जब हम भारतीय अर्थव्यवस्था, देश की कुल उत्पादन, रोजगार, मुद्रास्फीति और वित्तीय नीतियों का समग्र सूचक. इसके अलावा इसे इंडियन इकॉनमी भी कहा जाता है, यह शेयर बाजार, वस्तु कीमतें और नियामक संस्थाओं से घनिष्ठ रूप से जुड़ी होती है.

इस व्यापक ढाँचे के भीतर Nifty 50, भारी मात्रा में ट्रेड होने वाला प्रमुख स्टॉक सूचकांक. Nifty की चाल सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित करती है, क्योंकि बड़े कंपनियों के शेयर इन्डेक्स में शामिल होते हैं। उसी तरह सोना, परम्परागत सुरक्षित निवेश बंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मुद्रास्फीति, डॉलर की गति और RBI की मौद्रिक नीति से प्रभावित होती हैं। जब RBI ब्याज दरें घटाती है, तो ऋण खर्च कम होता है, जिससे निवेशकों को सोने जैसी संपत्ति में अधिक भरोसा मिलता है। अंत में, RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक), देश का मौद्रिक नीति निर्धारक और वित्तीय स्थिरता का पहरेदार की नीतियां बैंकिंग सेक्टर को सीधे आकार देती हैं। उदाहरण के तौर पर, रिवॉल्विंग रिवर्ज़न या रेपो दर में बदलाव से बैंकिंग सेक्टर के लाभप्रदता मार्जिन और उधार की लागत में बदलाव आता है, जिससे आर्थिक विकास के रफ्तार पर असर पड़ता है। ये सब घटक आपस में जुड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था के दैनिक उतार-चढ़ाव को तय करते हैं।

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आर्थिक सर्वेक्षण 2024 की मुख्य बातें: 'मजबूत पिच पर अर्थव्यवस्था'; निर्मला सीतारमण ने संसद में दस्तावेज़ पेश किया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई 2024 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024 पेश किया। यह दस्तावेज़ अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक की भारत की आर्थिक स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत करता है और आगामी वर्ष के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इसमें भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है और इसे $7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य दिया गया है।

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