अहिंसा: शांति और सामुदायिक एकता का मार्ग

जब हम अहिंसा, एक दार्शनिक सिद्धान्त है जो हिंसा के बजाय शांति‑पूर्ण साधनों से विवाद हल करने को महत्व देता है. इसे कभी‑कभी नॉन‑वायलेन्स भी कहते हैं, यह विचार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पुनर्जागरण लाया। इसी विचार को महात्मा गांधी, भारत के स्वाधीनता नेता जिन्होंने अहिंसा को राष्ट्रीय आंदोलन की रीढ़ बनाया ने व्यवहार में उतारा, जिससे लाखों लोग बिना हथियार के बड़े बदलाव देख सके।

अहिंसा का सामाजिक और शैक्षिक पहलू

अहिंसा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं, यह शिक्षा, समाज में मूल्य और नैतिकता प्रदान करने वाला प्रमुख स्तंभ के माध्यम से भी फ़ैला है। स्कूल और कॉलेज में अहिंसात्मक संवाद की ट्रेनिंग देना छात्रों को असहमतियों को समझदारी से सुलझाने सिखाता है। इसी तरह समाज, विभिन्न वर्गों का सामूहिक जीवन जिसमें आपसी सम्मान और सहयोग आवश्यक है को मजबूत बनाता है; जब लोग एक-दूसरे की बात सुनते हैं और हिंसा की बजाय समझौते का विकल्प चुनते हैं, तो सामाजिक शांति कायम रहती है। इतिहास में कई बार देखा गया है कि अहिंसात्मक आंदोलन ने जनमत को बदल कर दीर्घकालिक सुधार लाए – जैसे 1947 की स्वतंत्रता, 1970‑के दशक में नागरिक अधिकार आंदोलन, और हाल ही में पर्यावरणीय विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, नीचे की लिस्ट में आप विभिन्न क्षेत्रों—वित्त, खेल, राजनीति, मौसम—से जुड़ी खबरें पाएँगे जहाँ अहिंसा की भावना के विभिन्न रूप पर असर देखा गया है। चाहे वह बाजार की हलचल में सत्यों पर टिके रहने का संदेश हो या खेल में टीम भावना के माध्यम से शांति का प्रचार, आप हर लेख में अहिंसा के व्यावहारिक पहलुओं को पहचानेंगे। तो चलिए, इस संग्रह में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कैसे अहिंसा आज के समय में भी प्रासंगिक बनी हुई है।

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गांधी जयंती 2024: महात्मा गांधी को अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के नजरिए से याद करना - स्टीव जॉब्स, बराक ओबामा और अन्य

2 अक्टूबर को गांधी जयंती है, महात्मा गांधी के जन्मदिन का पर्व। यह लेख स्टीव जॉब्स, बराक ओबामा, जॉन लेनन, और दलाई लामा जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों पर गांधी के अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों का प्रभाव दर्शाता है। यह गांधी के योगदान और सिद्धांतों की वैश्विक महत्वता को रेखांकित करता है।

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