श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की छंटनी और स्टॉक पुनर्खरीद की नीति पर कसा तंज

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नव॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)

श्रीधर वेम्बु ने फ्रेशवर्क्स की छंटनी और स्टॉक पुनर्खरीद की नीति पर कसा तंज

फ्रेशवर्क्स और उनकी विवादास्पद रणनीति

पिछले दिनों, फ्रेशवर्क्स द्वारा की गई छंटनी और स्टॉक पुनर्खरीद योजना को लेकर जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बु का रोष ट्विटर पर देखने को मिला। यह एक ऐसा मुद्दा है जो भारत की कॉरपोरेट जगत में तेजी से बढ़ती हुई स्थिति को उजागर करता है। फ्रेशवर्क्स, जो $1 बिलियन नकद के साथ एक स्थिर स्थिति में है और 20% वार्षिक वृद्घि दर का दावा करता है, ने हाल ही में अपने 12-13% कर्मचारियों, यानी लगभग 660 लोगों को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया है। इसी दौरान उन्होंने $400 मिलियन के स्टॉक पुनर्खरीद की भी घोषणा की, जिसके फलस्वरूप अमेरिकी बाजार में फ्रेशवर्क्स के शेयर की कीमतों में 28% की वृद्धि हुई।

श्रीधर वेम्बु की आलोचना

श्रीधर वेम्बु ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, जिसे पूर्व में ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर अपनी नाखुशी जाहिर की। वेम्बु का कहना था कि फ्रेशवर्क्स जैसी कंपनी, जो एक मजबूत वित्तीय स्थिति में है, अपने कर्मचारियों की छंटनी कैसे कर सकती है जबकि वह शेयरधारकों को लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया में लगी हुई है। उन्होंने नेतृत्व पर यह आरोप भी लगाया कि वे $400 मिलियन को एक ऐसे नए व्यापार में निवेश क्यों नहीं कर सकते जहां अभी सार्वजनिक हुए कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जा सकता?

कॉरपोरेट संस्कृति का अमेरिकी प्रभाव

इसके साथ ही, वेम्बु ने एक व्यापक सांस्कृतिक अवस्था की ओर भी इशारा किया। उनका कहना था कि अमेरिकी कॉरपोरेट दुनिया से यह 'लालची' प्रयास भारत में स्थानांतरण कर रहा है, जिसके चलते अमेरिकी कर्मचारी भी उदासी के हालात में फंस चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों में इससे सीखा जा रहा है और यह चिंता का विषय है।

जोहो की नीति और कर्मचारी हित

जोहो की नीति और कर्मचारी हित

जोहो कंपनी कर्मचारियों और ग्राहकों को पहले स्थान पर रखने की अपनी नीति के लिए जानी जाती है। वेम्बु ने इस बात पर रोशनी डाली कि उनकी कंपनी क्यों निजी बनी हुई है और क्यों वे सार्वजनिक नहीं हो रही। उनका विचार है कि ग्राहक और कर्मचारी उनकी प्राथमिकता हैं ना कि शेयरधारक।

वह सही है कि एक कंपनी की समृद्धि उसके कर्मचारियों के संतोष और उनके भविष्य में निवेश पर निर्भर करती है न कि मात्र वित्तीय लाभ पर। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि भारतीय कंपनियां ऐसी सामग्रियों से बचें जो उनके कर्मचारी हितों के खिलाफ जाती हैं।

फ्रेशवर्क्स की आधिकारिक प्रतिक्रिया

फ्रेशवर्क्स की आधिकारिक प्रतिक्रिया

जहां तक फ्रेशवर्क्स का सवाल है, उन्होंने अभी तक वेम्बु की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, फ्रेशवर्क्स के CEO डेनिस वुडसाइड ने पहले कहा था कि ये छंटनी उनके रणनीति का हिस्सा हैं, जो कार्य संचालन में सुधार और सगठनात्मक ढांचे को सरल बनाने की दिशा में किया गया है। यह देखना बाकी है कि उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है और वे इस आलोचना को कैसे संबोधित करते हैं।

फ्रेशवर्क्स ने 2024 से कई बार छंटनी के दौर और प्रबंधन पुनर्गठन का सामना किया है। इस प्रकार की घटनाएं उनके संगठनात्मक संस्कृति और कर्मचारी संतुष्टि पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।

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