शाहिद कपूर की फिल्म 'देव' की समीक्षा: शानदार प्रदर्शन लेकिन अधूरी कहानी

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के द्वारा प्रकाशित किया गया राजेश मालवीय साथ 0 टिप्पणियाँ)

शाहिद कपूर की फिल्म 'देव' की समीक्षा: शानदार प्रदर्शन लेकिन अधूरी कहानी

शाहिद कपूर का दमदार प्रदर्शन

फिल्म 'देव' में शाहिद कपूर का प्रदर्शन बेहद शानदार कहा जा सकता है। उन्होंने अपने किरदार देव अंब्रे को जटिल और धुँधला बना दिया है, लेकिन बावजूद इसके, उनकी अदाकारी के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए। देव की मनोवैज्ञानिक जटिलता और उनके अतीत के संघर्ष को शाहिद ने बहुत ईमानदारी से जीवंत किया है। फिल्म में उनके इमोशनल सीन्स की गहराई ने दर्शकों को संवेदनशील बना दिया है, जो किसी भी अभिनेता के बेहतरीन अभिनय का स्पष्ट उदाहरण है।

कहानी और निर्देशन

फिल्म का निर्देशन रॉशन एंड्रयूज ने किया है, जो कहानी को एक दिलचस्प थ्रिलर के रूप में प्रस्तुत करते हैं। लेकिन कहानी के कुछ हिस्सों में गति का अभाव महसूस होता है। देव एक पुलिस अधिकारी है, जिसका अपना संघर्ष भरा अतीत है और वह अपने मित्र और सहकर्मी रोशन डी'सिल्वा की हत्या के बाद केस की तहकीकात में जुट जाता है। लेकिन, अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले, एक दुर्घटना में वह अपनी याददाश्त खो देता है, जिससे कहानी में एक नया मोड़ आता है।

किरदारों का योगदान

फिल्म में शाहिद कपूर के अलावा पवैल गुलाटी और प्रवेश राणा ने भी अपने किरदारों को दमदार तरीके से निभाया है। पवैल गुलाटी का किरदार रोशन डी'सिल्वा कहानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, जिसे उसकी भावनात्मक दृष्टि से देखा जा सकता है। प्रवेश राणा की उपस्थिति फिल्म को और अधिक गहराई प्रदान करती है। उन्होंने अपने सहायक किरदार को जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कहानी में कमजोर कड़ी

फिल्म की स्क्रीनप्ले में कुछ कमजोरियां नजर आती हैं। कहानी के कुछ अंश अनावश्यक रूप से खिंचते हुए मालूम पड़ते हैं, जो दर्शकों की रूचि को बाधित करते हैं। क्लाइमेक्स का प्लॉट ट्विस्ट दर्शकों को आकर्षित करने में विफल रहता है, जिसे अधिक ध्यान और परिश्रम की आवश्यकता थी। लेखन में पारदर्शिता का अभाव यह सोचने पर मजबूर करता है कि कहानी अपने बैलेंस को खो चुकी है।

तकनीकी पक्ष

तकनीकी पक्ष

फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर की तारीफ की जानी चाहिए। शानदार दृश्य और म्यूजिक का संयोजन फिल्म की सौंदर्यता को बढ़ाता है। एक्शन सीक्वेंस भी बेहतरीन बनाए गए हैं, जो फिल्म में ऊर्जा और गति लाते हैं। हालांकि, कुछ दृश्य जो वीएफएक्स पर अधिक निर्भर करते हैं, वो कृत्रिम दिखते हैं और दर्शकों को वास्तविकता से दूर ले जाते हैं।

मूल फिल्म के समानताओं की छाया

फिल्म 'देव' को 2013 की मलयालम फिल्म 'मुंबई पुलिस' के समान माना जा रहा है। चाहे यह एक रिमेक हो या उससे काफी प्रभावित, कहानी की समानताओं ने दर्शकों के मन में सवाल खड़े किए हैं। फिर भी, फिल्म अपने आप में एक अलग पहचान बनाने का प्रयास करती है और मनोरंजन के उद्देश्य को पूरा करती है।

फिल्म 'देव' की कहानी और शाहिद कपूर के प्रशंसक जो एक थ्रिलर की तलाश में हैं, उनके लिए यह फिल्म देखना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, पटकथा में कई सारे सुधार की गुंजाईश होने पर भी यह फिल्म एक मनोरंजक अनुभव प्रदान करती है। इसमें महत्वपूर्ण थ्रिलर एलिमेंट्स भी मौजूद हैं, लेकिन कहानी में कई जगहों पर ठहराव महसूस होता है। फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार दिए जा सकते हैं।

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