10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को करवा चौथ के अवसर पर भारत के सोने‑चांदी बाजार में उलटा मोड़ देखा गया – सोना गिरते‑गिरते पिछले दिन से 1,860 रुपये कम हो गया, जबकि चांदी ने लगभग 10,000 रुपये का प्रीमियम जोड़कर छाँटा। इस बदलते परिदृश्य को इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) ने तय‑तारीख़ के अंत‑बाजार में दर्ज किया।
करवा चौथ का अर्थ और बाजार पर असर
हर साल जब महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिये करवा चौथ व्रत रखती हैं, तो सोने‑चांदी की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। 2025 में अभी तक सोने की कीमतों में 51% से अधिक की वृद्धि दिखाई देती है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक मुद्रास्फीति और यू.एस. फेड की नीतियाँ रही हैं। लेकिन इस बार कीमतों में गिरावट पहली बार है जब व्रत का दिन खुद ही प्रतिकूल प्रवाह लाया।
सोने और चांदी के आज के भाव
IBJA की आधिकारिक सूची के अनुसार, बंद‑बाजार पर 24‑कैरेट सोने का मूल्य दिल्ली में ₹1,21,525 प्रति 10 ग्राम रहा, जबकि NDTV हिंदी के डेटा में यह ₹1,22,290 बताया गया – दोनों में लगभग ₹1,800 का अंतर। उसी समय 22‑कैरेट सोना ₹1,12,100 पर ट्रेड हुआ, जो पिछले दिन से ₹1,700 घटा।
चांदी की बात करें तो चेन्नई में कीमत ₹1,77,100 प्रति किलोग्राम, और दिल्ली में ₹1,67,100 प्रति किलोग्राम रही – दो शहरों में लगभग ₹10,000 का अंतर है। अंतरराष्ट्रीय डेटा Goldprice.org से बताता है कि 10 अक्टूबर को सोने की कीमत $3,989.61 (‑0.61%) और चांदी $49.21 (+0.82%) पर थी, जिससे गोल्ड‑सिल्वर रेश्यो 81.07 पर गिरा।
विश्लेषकों की राय और भविष्य की संभावनाएँ
यूट्यूब पर लोकप्रिय विश्लेषक एजे केदिया ने 14 अक्टूबर के वीडियो में कहा, “अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती के बाद चांदी के भाव में नीचे की प्रवृत्ति दिख सकती है, पर अभी की वृद्धि कच्चे तेल की कीमतों और जिंस‑भविष्य के रीडर्स द्वारा प्रेरित है।” उनका अनुमान है कि MCX पर दिसंबर 2025 के सोने के फ्यूचर्स में 1.57% की हल्की वृद्धि और चांदी में 4.70% की तीव्र उछाल जारी रहेगा।
अन्य बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे मौद्रिक नीति में आशावादी बदलाव, डॉलर की मजबूती और भारत के आयात‑निर्यात बैलेंस की अस्थिरता प्रमुख कारण हो सकते हैं। साथ ही, कुछ व्यापारी संकेत दे रहे हैं कि “भारी मौसमी खरीद‑फरोख्त के बाद बाजार में ख़ालीपन आया, इसलिए कीमतें फिर से समायोजित हो रही हैं।”

बाजार में अंतर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियों का असर
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई, विशेषकर यू.एस. फेडरल रिज़र्व की “डॉट‑प्लॉट” संकेतों के कारण। यूरोप में ऊर्जा कीमतों की स्थिरता ने भी निवेशकों को सोने की बजाय कम जोखिम वाले एसेट्स की ओर धकेला। दूसरी ओर, चांदी की कीमत में वृद्धि मुख्यतः औद्योगिक माँग (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर पैनल) और कम स्टॉक‑लेवल्स के कारण हुई।
- सोना: ₹1.21 लाख/10 ग्राम (दिल्ली)
- चांदी: ₹1.67 लाख/किग्रा (दिल्ली)
- गोल्ड‑सिल्वर रेश्यो: 81.07
- पिछले 6 दिन में सोने में लगातार उछाल (+₹10,000 औसत)
- MCX फ्यूचर्स में सोना +1.57%, चांदी +4.70% (दिसंबर 2025)
अगले कदम और सलाह
निवेशकों के लिए सबसे बड़ा संदेश यही है – “जैसे मौसम बदलता है, वैसे ही धातु बाजार भी बदलता है।” विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोने‑चांदी की खरीदारी से पहले हॉलमार्क (22K, 24K) की जाँच करें, और MCX पर भविष्य के अनुबंधों की स्थिति देखें। यदि आप लघु‑कालीन लाभ चाहते हैं तो चांदी की वृद्धि पर नज़र रखें, जबकि दीर्घ‑कालिक पूंजी संरक्षित करने के लिये सोने को पोर्टफोलियो के एक हिस्से में रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
करवा चौथ के दिन सोने की कीमत गिरने का कारण क्या है?
मुख्य कारणों में डॉलर की मजबूती, फेड की संभावित नीतियों में ढील, और इस साल तक सोने की कीमतों में 51% से अधिक वृद्धि शामिल हैं, जिससे बाजार में अनुकूलन हो रहा है।
चांदी की कीमतें बढ़ने से किसे लाभ होगा?
औद्योगिक उपयोगकर्ता, सौर पैनल निर्माता और छोटे‑कालीन ट्रेडर चांदी की बढ़ती कीमतों से लाभ उठाने की संभावना रखते हैं, जबकि दीर्घ‑कालीन निवेशक इसे पोर्टफोलियो विविधीकरण के रूप में देख सकते हैं।
MCX पर सोने‑चांदी के फ्यूचर्स का क्या संकेत है?
14 अक्टूबर के डेटा के अनुसार, दिसंबर 2025 के सोने के फ्यूचर्स में 1.57% और चांदी में 4.70% की वृद्धि दर्ज हुई, जिससे बाजार में फिर से उछाल की सम्भावना स्पष्ट हुई।
भविष्य में सोने‑चांदी के दामों को कौन‑से कारक प्रभावित करेंगे?
अमेरिका की मौद्रिक नीति, वैश्विक भू‑राजनीतिक तनाव, भारत की आयात‑निर्यात स्थिति, और मौसमी मांग (विवाह, त्यौहार) मुख्य कारक बने रहेंगे।
क्या निवेशकों को इस बार सोना खरीदना चाहिए?
यदि आप दीर्घकालीन सुरक्षा चाहते हैं तो सीमित मात्रा में 24‑K सोना रखना समझदारी है, परन्तु कीमतों में अस्थिरता को देखते हुए छोटे‑समय के ट्रेडर चांदी पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।
टिप्पणि
Halbandge Sandeep Devrao
वर्तमान करवा चौथ पर सोने की कीमत में गिरावट को मौद्रिक निहितार्थों के सिद्धांत द्वारा विश्लेषित किया जा सकता है; फेडरल रिज़र्व की डॉट‑प्लॉट संकेतावली ने अनुकूल मौद्रिक नीति संकेतित किए हैं, जिससे जोखिम‑सहनशीलता में गिरावट उत्पन्न हुई है। इस परिसंचरण में भारतीय वित्तीय बाजार ने डॉलर की सुदृढ़ता को मुख्य प्रतिरोधक तंत्र के रूप में पहचान किया है, जिसके फलस्वरूप सोने की कीमतों में निरंतर सापेक्ष गिरावट दर्ज हुई। चांदी का उभार औद्योगिक मांग‑संतुलन, विशेषकर सौर ऊर्जा एवं इलेक्ट्रॉनिक घटकों में, के साथ समांतर है, जो अंतरराष्ट्रीय वस्तु‑बाजार की अस्थिरता को संतुलित करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। अतः निवेशकों को पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन के दौरान सोने‑चांदी के अनुपात को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए।
अक्तूबर 15, 2025 AT 01:55