गोपालगंज जिले में भारत निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के तहत घर-घर एन्यूमरेशन फॉर्म वितरण का काम अब तेजी से चल रहा है। पवन कुमार सिन्हा, गोपालगंज के डीएम सह डीईओ, के निर्देश पर जिले के छहों विधानसभा क्षेत्रों में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जा रहे हैं। लेकिन एक अजीब बात है — 20.55 लाख मतदाताओं को फॉर्म दिए गए, लेकिन सिर्फ 17.45 लाख वापस आए। बाकी 3.10 लाख? गायब। मरे हुए। या शहर छोड़ चुके।
क्यों इतना जोर से फॉर्म बांटे जा रहे हैं?
ये सिर्फ एक फॉर्म नहीं, ये लोकतंत्र की जान है। भारत निर्वाचन आयोग चाहता है कि हर वोट असली हो — न कोई लाश का वोट, न कोई चला गया आदमी का। इसलिए इस बार फॉर्म बांटने के साथ-साथ उन्हें वापस लाने का जोर भी बढ़ाया गया है। एक BLO हर 1000 मतदाता पर नियुक्त है। गोपालगंज में 3679 BLO तैनात हैं। वो तीन बार दरवाजा दस्तक देते हैं — अगर कोई घर में नहीं है, तो अगले दिन फिर आते हैं। जीविका दीदी, पंचायत सचिव, कम्युनिटी मोबिलाइजर — सबको जोड़ दिया गया है। ये नहीं चाहते कि कोई मतदाता गायब हो जाए।
कौन-से क्षेत्र सबसे ज्यादा गायब हुए?
सबसे ज्यादा नाम निकाले गए गोपालगंज सदर से — 19% मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर। फिर कुचायकोट (18%), बरौली (15%), हथुआ (14%), बैकुंठपुर (13%) और भोरे (12%)। ये नंबर अकेले आंकड़े नहीं, ये एक इमारत के नींव का संकेत है। जहां इतने लोग गायब हैं, वहां शायद आबादी का एक बड़ा हिस्सा शहरों में चला गया है। या फिर, जैसा कि कुछ स्थानीय नेता कहते हैं, बहुत से लोग अपने नाम नहीं दर्ज करवाना चाहते — शायद डर के कारण, शायद अज्ञान के कारण।
क्या बिना दस्तावेज फॉर्म भरना अच्छा है?
हथुआ विधानसभा क्षेत्र में 66.61% मतदाताओं ने बिना किसी दस्तावेज के फॉर्म जमा कर दिया। भोरे में भी 57.39% ऐसा ही कर रहे। ये बात दो तरफ से सोचने की है। एक तरफ, ये दर्शाता है कि लोग जाग रहे हैं — वो फॉर्म भरना चाहते हैं। दूसरी तरफ, बिना दस्तावेज के फॉर्म भरने से भविष्य में गलती हो सकती है। अगर कोई नाम दोहराया गया, या फिर किसी ने दूसरे का नाम भर दिया, तो ये नाम अंतिम सूची में शामिल हो सकता है। आयोग इसे फिल्टर करने के लिए डेटा मिलान कर रहा है — 2003-2004 के पुराने रिकॉर्ड से, और 24 जून 2025 तक की मतदाता सूची से।
अंतिम सूची कब आएगी?
अगर कोई नाम 24 जून 2025 तक मतदाता सूची में था, लेकिन 1 अगस्त 2025 को जारी ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, तो वो नाम अंतिम सूची से हटा दिया जाएगा। ये एक बड़ा फैसला है। इसका मतलब है कि अगर आपका नाम 24 जून को था, लेकिन आपने फॉर्म नहीं भरा, तो आपको वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा — बिना किसी चेतावनी के। आयोग कहता है कि ये सुगमता के लिए है। लेकिन क्या ये न्यायसंगत है? वहां जहां अक्सर बुजुर्ग, ग्रामीण, या अशिक्षित लोग रहते हैं, क्या ये प्रक्रिया उनके लिए दोषी नहीं है?
क्या ये एक नए युग की शुरुआत है?
गोपालगंज, जो पहले सारण का छोटा अनुमंडल था और आज लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है, अब एक नए चुनावी मानक का टेस्टबेड बन रहा है। इस बार का SIR अत्यधिक डिजिटल और डेटा-ड्रिवन है। लेकिन याद रखें — लोकतंत्र कभी सिर्फ डेटा से नहीं चलता। ये लोगों से चलता है। जिन लोगों ने बिना दस्तावेज फॉर्म भरा, वो शायद नहीं जानते कि उनका नाम अंतिम सूची में नहीं आएगा। आयोग को अब ये सुनिश्चित करना होगा कि जो लोग भाग ले रहे हैं, उन्हें पूरी जानकारी मिले। वरना, ये शुद्धिकरण एक नए अन्याय की शुरुआत बन सकता है।
अगला कदम क्या है?
15 सितंबर 2025 तक सभी मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट की आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। अगर आपका नाम गायब है, तो आप इस समय अपना नाम वापस ला सकते हैं। बाद में नहीं। आयोग ने एक वेबपोर्टल भी लॉन्च किया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका उपयोग बहुत कम है। इसलिए BLO की भूमिका अब और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। वो अब सिर्फ फॉर्म नहीं बांट रहे, वो जागरूकता के दूत बन गए हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या अगर मैंने फॉर्म नहीं भरा, तो क्या मैं वोट नहीं दे सकता?
हां, अगर आपका नाम 24 जून 2025 तक मतदाता सूची में था, लेकिन आपने SIR फॉर्म नहीं भरा और आपका नाम 1 अगस्त 2025 की ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया, तो आपका नाम अंतिम सूची से हटा दिया जाएगा। आपको वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा।
गोपालगंज में सबसे ज्यादा मतदाता गायब क्यों हुए?
गोपालगंज सदर में 19% मतदाता गायब हुए — जो जिले में सबसे अधिक है। इसका कारण शहरीकरण, बेघर होना, या नाम दर्ज न कराना हो सकता है। कई लोग शहरों में चले गए हैं, लेकिन अपना मतदाता नाम अपडेट नहीं करवाया।
बिना दस्तावेज फॉर्म भरना सुरक्षित है?
नहीं, ये जोखिम भरा है। बिना दस्तावेज के फॉर्म भरने से नाम दोहराया जा सकता है या गलत नाम दर्ज हो सकता है। आयोग डेटा मिलान करेगा, लेकिन अगर आपका नाम गलत तरीके से जुड़ गया, तो आपको बाद में शिकायत दर्ज करनी पड़ेगी।
क्या भोरे विधानसभा क्षेत्र के लोग विशेष रूप से पीड़ित हैं?
भोरे अनुसूचित जाति आरक्षित है, और यहां 57% मतदाताओं ने बिना दस्तावेज फॉर्म भरा। ये दर्शाता है कि इस समुदाय में दस्तावेजों की कमी या भरोसा न होने की स्थिति है। आयोग को इस समुदाय के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
अंतिम मतदाता सूची कब जारी होगी?
अंतिम मतदाता सूची 30 अक्टूबर 2025 तक जारी की जाएगी। इसके बाद कोई बदलाव नहीं होगा। अगर आपका नाम इसमें नहीं है, तो आपको अगले चुनाव तक इंतजार करना पड़ेगा।
क्या BLO बस फॉर्म बांट रहे हैं या और भी कुछ कर रहे हैं?
BLO सिर्फ फॉर्म नहीं बांट रहे — वो जागरूकता के दूत हैं। वो लोगों को समझा रहे हैं कि अगर आपका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, तो आप कैसे इसे वापस ला सकते हैं। वो घर-घर जाकर नाम जांच रहे हैं और गलतियों को ठीक कर रहे हैं।
टिप्पणि
Adrija Mohakul
ये फॉर्म बांटने का काम तो बहुत अच्छा है, पर अगर बुजुर्ग लोग फॉर्म भर नहीं पाएं तो क्या उनका वोट खत्म हो जाएगा? ये सिर्फ डेटा नहीं, इंसानों की जिंदगी है।
नवंबर 5, 2025 AT 04:00
Dhananjay Khodankar
मैंने अपने गांव में देखा, BLO तीन बार आए, लेकिन एक बूढ़े आदमी ने बस हाथ हिला दिया। उसे नहीं पता था कि ये फॉर्म क्या है। अब वो गायब हो गया।
नवंबर 6, 2025 AT 01:00
shyam majji
अब तो सब कुछ डिजिटल हो गया... लेकिन गांव में तो मोबाइल चार्ज भी नहीं होता। ये आयोग किसी को बेकार नहीं बनाना चाहता।
नवंबर 6, 2025 AT 20:42
shruti raj
ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है! जो लोग अपने नाम नहीं दर्ज करवाते, वो असली लोग हैं जो जानते हैं कि कौन चल रहा है! 😈 बाकी सब बेवकूफ बन रहे हैं।
नवंबर 8, 2025 AT 17:46
Khagesh Kumar
बिना दस्तावेज फॉर्म भरना खतरनाक है। लेकिन अगर लोग डरते हैं तो क्या उन्हें दोष देना चाहिए? जागरूकता बढ़ानी होगी, न कि नाम हटाना।
नवंबर 10, 2025 AT 06:24
Ritu Patel
अगर तुम्हारा नाम गायब हो गया तो तुम्हारा वोट नहीं होगा। ये लोकतंत्र नहीं, ये बुराई है। जिन्होंने फॉर्म नहीं भरा, वो अपनी जिम्मेदारी नहीं जानते।
नवंबर 12, 2025 AT 05:43
Deepak Singh
आयोग ने बहुत सख्त नियम बनाए हैं। लेकिन क्या ये न्यायसंगत है? जब तक ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट नहीं होगा, तब तक ये डिजिटल सुगमता एक धोखा है।
नवंबर 13, 2025 AT 12:22
Rajesh Sahu
हमारे देश में ऐसे लोग जिन्होंने फॉर्म नहीं भरा, उनका वोट नहीं देना चाहिए! ये नियम बहुत अच्छा है। अब तो अंधेरे के लोग भी साफ हो गए! 🇮🇳
नवंबर 15, 2025 AT 09:29
utkarsh shukla
मैंने अपने भाई के गांव में देखा - BLO ने एक बूढ़ी दादी को फॉर्म भरने में घंटों मदद की। वो रो पड़ी। ये लोग सिर्फ फॉर्म नहीं बांट रहे, वो आत्मा बचा रहे हैं।
नवंबर 16, 2025 AT 22:54
mala Syari
ये सब तो बस एक और बड़ा गुमराह करने का नाटक है। असली लोग तो शहर में रह रहे हैं, लेकिन उनके नाम गांव में रह गए। ये नियम तो बस अमीरों के लिए है। 😒
नवंबर 18, 2025 AT 08:33
Kamal Gulati
अगर तुम्हारे पास दस्तावेज नहीं हैं, तो तुम अपना नाम नहीं दर्ज करवा सकते? ये देश में बेचारे को दोषी ठहराता है। ये न्याय नहीं, ये अत्याचार है।
नवंबर 19, 2025 AT 10:09
Atanu Pan
मैंने अपना फॉर्म भरा, लेकिन अभी तक नाम नहीं आया। शायद ये सब बस एक बड़ा बकवास है। लोगों को वोट देने का अधिकार है, न कि डेटा अपडेट करने का।
नवंबर 21, 2025 AT 09:18
Pankaj Sarin
ये ड्राफ्ट लिस्ट वाला खेल तो पहले भी हुआ था। लेकिन अब तो बहुत ज्यादा जोर लगा है। क्या कोई नेता इसे रोक सकता है? या फिर ये सब बस एक बड़ा राजनीतिक खेल है?
नवंबर 21, 2025 AT 21:59
Mahesh Chavda
यदि आयोग को विश्वास है कि यह प्रक्रिया न्यायसंगत है, तो उसे ग्रामीण जनता के लिए एक बड़ी जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए, न कि बस फॉर्म बांटना।
नवंबर 22, 2025 AT 18:13
Sakshi Mishra
लोकतंत्र का अर्थ है - हर आवाज़ का सम्मान। अगर एक बूढ़ी दादी का नाम गायब हो जाता है, तो क्या यह वोट का अधिकार नहीं है? यह सिर्फ डेटा का सवाल नहीं, यह मानवता का सवाल है।
नवंबर 23, 2025 AT 20:50