जब Mrutyunjay Mohapatra, Director General of India Meteorological Department (IMD) ने 30 सेप्टेम्बर 2025 को बताया कि मानसून का निकास ‘भारी’ देरी का सामना कर रहा है, तो दिल्ली‑एनसीआर के लोग भी फिर बारिश के लिये तैयार हो गए।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और 2025‑का मानसून
अतीत में भारत में दक्षिण‑पश्चिमी मानसून का औसत अवधि लगभग 122 दिन रहता है, जिसमें लगभग 55 दिन कम‑दबाव प्रणाली (Low‑Pressure System – LPS) के कारण नमीयुक्त वातावरण बनता है। इस वर्ष, Southwest Monsoon 2025India ने कुल 937.2 mm वर्षा दर्ज की, जो 2001‑के बाद पाँचवीं सबसे अधिक और 1901‑के बाद 38वीं सबसे अधिक रही। भारत ने इस अवधि में आठ प्रतिशत अधिक वर्षा प्राप्त की – एक ऐसा आँकड़ा जो पहले कभी नहीं देखा गया था।
IMD के अनुसार, इस अत्यधिक वर्षा का मुख्य कारण 69 दिनों तक जारी रहे कम‑दबाव प्रणाली थे, जबकि सामान्य वर्ष में यह संख्या 55 दिन रहती है। ऐसा कहा जा रहा है कि इन लूप‑सिस्टम ने भारत के अधिकांश हिस्सों में निरंतर बरसात को बढ़ावा दिया।
दिल्ली‑एनसीआर में वर्तमान मौसम
30 सेप्टेम्बर को नई दिल्ली के तापमान 28.7 °C से 36.7 °C के बीच रहे, जबकि हवा की गति 11.2 km/h तक पहुँच गई। हवा के साथ‑साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 92 पर था – जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है, और PM2.5 38 µg/m³ तथा PM10 90 µg/m³ पर मापे गये। लेकिन सबसे ध्यान आकर्षित करने वाला था 87 % संभावित बिखरी हुई वर्षा की संभावना, जिसका मतलब था कि शहर में हल्की‑से‑मध्यम बूंदाबांदी जारी रहेगी।
- 30 सेप्टेम्बर: हल्की‑बारिश + तेज़ हवाएँ (गुस्ती 50 km/h तक)
- 1 अक्टूबर: सुबह की बौछार, दिन में 33‑35 °C, रात में 25‑27 °C
- 2 अक्टूबर: समान परिस्थितियाँ, थोड़ा ठंडा शाम‑को शाम
- 3 अक्टूबर: धूप के बादल के साथ, तापमान 1‑2 °C सामान्य से ऊपर
शहर के कई क्षेत्रों में सुबह की तेज़ बरसात ने पिछले दो सालों में सबसे गर्मसितंबर की मर्यादा‑37.5 °C से राहत दिलाई।
देश के अलग‑अलग हिस्सों में निकासी की स्थिति
23 सेप्टेम्बर तक Gujarat, Rajasthan, Haryana, Punjab में मानसून का निकास हो चुका था। 24 सेप्टेम्बर को Punjab, Haryana, Chandigarh, Delhi, साथ ही Gujarat, Rajasthan, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, Uttarakhand, Himachal Pradesh, Jammu & Kashmir में भी निकास शुरू हुआ। लेकिन अब तक मध्य, पश्चिम, पूर्व और उत्तर‑पूर्वी भारत में बाय ऑफ बंगाल (Bay of Bengal) के ऊपर बनी नई कम‑दबाव प्रणाली के कारण निकासी ठहर गई है। IMD ने कहा कि इस सिस्टम की वजह से निकासी केवल उत्तर‑पश्चिम भारत तक ही सीमित रहेगी।
विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ और भविष्य की सम्भावनाएँ
हाइड्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर Dr. Anjali Singh ने कहा, “बाय ऑफ बंगाल से आने वाली नमी‑युक्त हवा पश्चिमी पठारों को भी छू रही है, इसलिए निकासी का पथ अब पहले जैसा नहीं रहेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि अगर अगले दो‑तीन हफ्तों में इस प्रणाली का दबाव कम नहीं हुआ, तो उत्तर‑पूर्वी भारत में बाढ़ की संभावना बढ़ सकती है।
वायुमंडलीय वैज्ञानिक Prof. Rajiv Kumar ने आश्चर्य जताया कि 2025 की मानसून अवधि में “लॉन्ग‑पर्सिस्टेंट लोज़ प्रेशर” की संख्या इतनी अधिक क्यों रही। उनका मानना है कि समुद्री सतह तापमान में हो रहे लगातार बढ़ोतरी ने इस निरंतरता को बढ़ावा दिया।
आगे क्या हो सकता है?
IMD ने अगले हफ़्ते तक के लिए दिल्ली‑एनसीआर में “बिखराव-बारिश, कभी‑कभी गड़गड़ाहट” की भविष्यवाणी की है, और 3 अक्टूबर से “आंशिक रूप से बादल छाए रहने” का संकेत दिया है। यदि बाय ऑफ बंगाल के ऊपर कम‑दबाव प्रणाली weaken हो जाती है, तो निकासी फिर से तेज़ी से आगे बढ़ सकती है। अन्यथा, उत्तर‑पूर्वी राज्य जैसे असम, झारखंड और मणिपुर में तेज़ी से बढ़ती नमी के कारण फसल‑उपज और बुनियादी ढाँचे पर दबाव बढ़ सकता है।
- बीजिंग‑वार्निंग सेंटर ने इस साल के मानसून को “उच्च‑जोखिम” वर्ग में रखा है।
- किराए के बाजार में दिल्ली‑एनसीआर में मौसमी यात्रा लागत में 5‑6 % तक बढ़ोतरी की संभावना है।
- सड़क और रेलवे कार्य में देरी के कारण लॉजिस्टिक खर्चों में अतिरिक्त 2‑3 % बढ़ोतरी की चेतावनी दी गई है।
क्या यह अगली बार भी दोहराएगा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण कम‑दबाव सिस्टम की आवृत्ति और अवधि लगातार बढ़ रही है। “यदि हम इस प्रवृत्ति को नहीं रोकते, तो भविष्य में और भी अधिक देर‑से‑निकासी वाले मानसून देख सकते हैं,” Prof. Rajiv Kumar ने कहा। इस सिलसिले में, जल‑भंडारण, बाढ़‑प्रबंधन और जलवायु‑अनुकूलन नीति में सामूहिक पहल की जरूरत है।
Frequently Asked Questions
दिल्ली‑एनसीआर में बारिश की भविष्यवाणी कब तक जारी रहेगी?
IMD ने कहा है कि 2 अक्टूबर 2025 तक बिखराव‑बारिश और बिजली के साथ हल्की‑से‑मध्यम बारिश जारी रहेगी। 3 अक्टूबर से आंशिक बादल तथा सामान्य तापमान की उम्मीद है।
बाय ऑफ बंगाल की कम‑दबाव प्रणाली निकासी को क्यों रोक रही है?
बाय ऑफ बंगाल में गरम समुद्री सतह वायु को उठाकर सतह के नीचे उच्च‑नमी की परत बनाती है। यह नमी‑समृद्ध हवा पश्चिम और उत्तर‑पूर्व दिशाओं में फैलती है, जिससे मानसून की निकासी धीमी पड़ती है।
क्या इस देरी से फसल‑उपज पर असर पड़ेगा?
उत्तर‑पूर्वी राज्यों में अतिरिक्त नमी से धान तथा दलहन फसलों में जल‑भण्डारण बढ़ सकता है, परन्तु अत्यधिक बारिश से बाढ़ का जोखिम भी बढ़ता है। किसान पहले ही सतर्क रहे हैं और जल‑प्रबंधन तकनीकों को लागू कर रहे हैं।
IMD ने भविष्य में किन उपायों की सिफ़ारिश की है?
IMD ने कहा है कि निम्न‑दबाव प्रणाली की निगरानी के लिए रडार‑सैटेलाइट संपर्क बढ़ाया जाए, साथ ही स्थानीय जल‑प्राधिकरणों को तेज़‑बाढ़ चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
क्या दिल्ली‑एनसीआर के नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का जोखिम है?
में मौसमी धुंध और उच्च आर्द्रता के कारण श्वसन रोगियों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने एंटी‑पॉल्यूशन मास्क और श्वसन जांच केन्द्र खोलने की सलाह दी है।
टिप्पणि
Sandhya Mohan
मानसून का देर से निकलना हमें प्रकृति के जटिल खेल की याद दिलाता है।
जैसे जीवन में कभी‑कभी धैर्य की जरूरत पड़ती है, वैसे ही इन लूप‑सिस्टमों को समझना भी एक सफ़र है।
इसी सफ़र में वैज्ञानिकों की मेहनत और आम जनता की जागरूकता दोनों ही अहम भूमिका निभाते हैं।
आशा है कि इस वर्ष की अतिरिक्त वर्षा से कृषि को थोड़ा राहत मिलेगी।
चलते‑चलते, हम सभी को इस मौसम के साथ तालमेल बिठाना चाहिए।
सितंबर 30, 2025 AT 21:44