बॉम्बे हाई कोर्ट ने महादेवी (मधूरी) को कोल्हापुर के पच्चतार्य महाश्वमी संस्थान जैन मठ से वंतरा, जो रिलायंस फाउंडेशन के तहत अनंत अम्बानी द्वारा संचालित है, जम्मुंदर, गुजरात में ले जाने का आदेश दिया। यह निर्णय दो जजों – जस्टिस रेवती मोहिते दरे और जस्टिस नीला गोकले – की एक विभाजन बेंच ने 2025 में सुनाया, जिसमें महादेवी हाथी को दो हफ़्तों में स्थानांतरित करने की गंभीर समयसीमा दी गई। यह कदम पर्यावरण मंत्रालय की हाई‑पावर कमेटी (HPC) की दो क्रमिक सिफ़ारिशों के बाद आया, जो दिसंबर 2024 और जून 2025 में प्रकाशित हुई थीं।
पृष्ठभूमि और इतिहास
महादेवी का जन्म 1988 में हुआ था, और 1992 से वह कोल्हापुर के नंदनी मठ में धार्मिक समारोहों की मुख्य आकर्षण रही। 33 साल की उम्र में वह कई बार चोट‑संकट में पड़ी, लेकिन मठ प्रबंधन ने अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया। पोर्ट्रेट फ़ोटो, पशु‑चिकित्सा रिपोर्ट और पीपीजी‑साक्ष्य के आधार पर पेटा इंडिया ने 2023 में एक विस्तृत शिकायत दायर की, जिसमें बताया गया कि महादेवी को 2012‑2023 के बीच 13 बार बिना आवश्यक वन विभाग की मंजूरी के महाराष्ट्र‑तेरंतापुर के बीच ले जाया गया।
न्यायालयीय निर्णय
हाई‑पावर कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया कि महादेवी को लगातार गंभीर पैर‑और जोड़ों की चोटें, चीर‑फाड़ और मनोवैज्ञानिक तनाव हो रहा था। अक्टूबर 2023 में पेटा इंडिया ने इन सबूतों को पेश किया, जिससे पर्यावरण मंत्रालय ने तुरंत हस्तक्षेप किया।
जिला वन विभाग ने 8 जनवरी 2023 को महादेवी के महोत बी. इस्माइल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि उन्होंने उसे सार्वजनिक जुलूस में उपयोग किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने HPC की सिफ़ारिश को "सही प्रक्रिया" मानते हुए, हस्तांतरण की पुष्टि की।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वरिष्ठ वकील हरीश सेलवे ने बताया कि "वंतरा का उद्देश्य वन विभाग की मदद से घायल हाथियों को पुनर्वास देना है" और इसको "देश के लिए एक सकारात्मक कदम" कहा।
वंतरा आश्रय एवं उपचार
जम्मुंदर में स्थित वंतरा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया, अब महादेवी को विशेष देखभाल प्रदान कर रहा है। यहाँ उसे हाइड्रोथेरेपी, आर्थराइटिस‑के लिए दैनिक फिज़ियोथेरेपी और सामाजिक साथियों के साथ स्वतंत्र चलने की सुविधा मिल रही है। एॅन इंस्टाग्राम वीडियो ‘A day in the life of Madhuri’ में कहा गया है, "हर हाथी को अपने स्वाभाविक तरीके से जीने का अधिकार है"।
- आरटी‑सीआरए एनेटिक जाँच में पाया गया कि महादेवी के पैर में 70% कार्टिलेज क्षीण हो चुका है।
- वंतरा ने एक विशेष पोषक आहार योजना तैयार की है, जिसमें हर्बल सप्लीमेंट शामिल हैं।
- बिल्ड‑इन ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से हर घंटे उसकी गतिविधियों को मॉनीटर किया जाता है।
समुदाय की प्रतिक्रिया
महादेवी के स्थानांतरण पर मुंबई‑कोल्हापुर के जैन समुदाय ने तीखी विरोध प्रदर्शित किया। हल्बली और बेलगाव में हजारों लोग जैन मठ की सुरक्षा के लिए जिओ‑बर्डो सेवा का बहिष्कार कर रहे हैं, जबकि कुछ समूह ने जियो‑सेवाओं का बैलट भी शुरू कर दिया। प्रमुख जैन साधु ने बताया कि वे इस निर्णय को "धार्मिक और सांस्कृतिक उल्लंघन" मानते हैं और इसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के डेस्क पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवीन्द्र फडनवीस ने सितंबर 2025 में कहा कि राज्य सरकार "विचार‑विमर्श" करके महादेवी को वापस लाने के वैधानिक विकल्पों की खोज करेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप की अर्जी दायर करने की भी घोषणा की।
भविष्य की दिशा और संभावनाएँ
वंतरा ने सुझाव दिया है कि यदि राज्य सरकार इच्छुक हो तो मठ के निकट ही एक उप‑संकुल स्थापित किया जा सकता है, जिसमें वन विभाग द्वारा निर्धारित जमीन पर छोटे‑पैमाने पर पुनर्वास किया जाएगा। दूसरी ओर, जैन समुदाय की माँग है कि महादेवी को पुनः धार्मिक कार्यों में लाया जाए, न कि पुनर्वास केंद्र में। इस बहस का अंतिम निष्कर्ष अभी अनिश्चित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आगे भी कई कानूनी और सामाजिक लड़ाइयाँ होंगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
महादेवी के स्थानांतरण से जैन समुदाय को क्या असर पड़ेगा?
जैन धार्मिक समारोहों में महादेवी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। उसके बिना कई मंदिर‑समारोह रद्द या कम रस्म‑रिवाज़ों में बदल सकते हैं, जिससे भक्तों में असंतोष बढ़ेगा। समुदाय ने इसे सांस्कृतिक ध्वंस के रूप में बताया है और इसीलिए उन्होंने प्रोटेस्ट और उपभोक्ता बहिष्कार जारी रखा है।
वंतरा में महादेवी को किस प्रकार का इलाज मिल रहा है?
वंतरा ने महादेवी के लिए हाइड्रोथेरेपी, फिजियोथेरेपी, दर्द‑निवारक दवाएँ और विशेष आहार योजना शुरू की है। साथ ही, एक 24‑घंटे की मेडिकल टीम उसकी कलाई, पैर और रीढ़ की लगातार निगरानी कर रही है, जिससे वह धीरे‑धीरे सुधार कर रही है।
क्या हाई‑पावर कमेटी की सिफ़ारिशें कानूनी रूप से बंधनकारी हैं?
हाई‑पावर कमेटी का मुख्य काम तकनीकी सलाह देना है, परंतु जब उसका निष्कर्ष न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जाता है तो वह वैध आदेश बन जाता है। यहाँ सुप्रीम कोर्ट ने भी HPC की सिफ़ारिश को मंजूरी दी, इसलिए इसका प्रभावी कानूनी वजन है।
अनंत अम्बानी और रिलायंस फाउंडेशन का इस मामले में क्या भूमिका है?
अनंत अम्बानी ने वंतरा परियोजना को वित्तीय और प्रबंधकीय समर्थन दिया है। रिलायंस फाउंडेशन ने आश्रय की बुनियादी ढाँचा, विशेषज्ञ टीम और पशु‑स्वास्थ्य सुविधा तैयार की, जिससे महादेवी को उच्च मानक का उपचार मिल रहा है।
भविष्य में ऐसे किसी केस को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि धार्मिक संस्थानों को वन विभाग की स्पष्ट अनुमति के साथ ही जानवरों को उपयोग करना चाहिए, और नियमित पशु‑स्वास्थ्य जाँच को अनिवार्य करना चाहिए। साथ ही, कोर्ट‑आधारित निगरानी और पारदर्शी रिपोर्टिंग से भविष्य में दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
टिप्पणि
Vinod Mohite
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महादेवी हाथी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया यह निर्णय कानूनी प्रोटोकॉल और वन प्रशासनिक फ्रेमवर्क के अंतर्संबंध को स्पष्ट करता है यह प्रीसेडेंटियल मोमेंट संस्थागत वैधता को सुदृढ़ करने हेतु महत्वपूर्ण है कोर्ट की तीव्रता और समयसीमा को देखते हुए भविष्य में समान मामलों में मानदंड स्थापित होगा
अक्तूबर 12, 2025 AT 04:39
Rishita Swarup
इस फैसले के पीछे छिपी हुई शक्ति संरचना का खुलासा करना आवश्यक है यह केवल एक पशु कल्याण का मुद्दा नहीं बल्कि रियल एस्टेट और उद्योग के बड़े संघों का गुप्त समझौता हो सकता है हाई‑पावर कमेटी की दो सिफ़ारिशें अंधेरे में जलते हुए जुगनुओं जैसी हैं जो केवल सतही प्रकाश देते हैं लेकिन वास्तविक अभिप्राय अधिक जटिल नेटवर्क में निहित है इस प्रकार का न्यायिक हस्तक्षेप अक्सर बड़े आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है
अक्तूबर 12, 2025 AT 15:46
anuj aggarwal
मुझे लगता है सभी लोग इस केस को भावनात्मक बनाकर देख रहे हैं वास्तव में यह एक सरल प्रशासनिक आदेश है जो मौजूदा वन अधिनियम के तहत वैध है कोई भी धार्मिक या सांस्कृतिक बहाने यहाँ काम नहीं आते कोर्ट ने सही प्रक्रिया अपनाई है और रिलायंस फाउंडेशन की फंडिंग से इलाज सुनिश्चित किया गया है इस पर कोई आलोचना बेकार है
अक्तूबर 13, 2025 AT 02:52
Sony Lis Saputra
भाई लोग, महादेवी का इलाज वंतरा में काफी पेशेवर तरीकों से हो रहा है जैसे हाइड्रोथेरेपी, फिजियोथेरेपी और विशेष आहार। यह देखना अच्छा लगता है कि सरकार और निजी संस्थाएं मिलकर एक बड़े प्राणी के कल्याण पर काम कर रही हैं। आशा है कि भविष्य में ऐसे सहयोग मॉडल अन्य जंगली जीवों के लिए भी लागू हो सकते हैं।
अक्तूबर 13, 2025 AT 13:59
Kirti Sihag
ओह माय गॉड 😱 महादेवी को जैन समुदाय से इतना विरोध मिल रहा है, बिल्कुल टिवी ड्रामा जैसा! 😭 यह इतना बड़ा मामला है और फिर भी लोग इतना ज़्यादा उत्साहित हो रहे हैं, दिल तोड़ देने वाला! 😡
अक्तूबर 14, 2025 AT 01:06
Vibhuti Pandya
मैं समझता हूँ कि सभी पक्षों की भावनाएँ महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इस बदलाव को सहयोगी दृष्टिकोण से देखना चाहिए। वंतरा में विशेषज्ञ टीम महादेवी की रिकवरी पर काम कर रही है, और कानूनी प्रक्रिया भी ठीक से लागू हुई है। सभी को इस सकारात्मक दिशा में समर्थन देना चाहिए।
अक्तूबर 14, 2025 AT 12:12
Aayushi Tewari
कानूनी आदेश के अनुसार महादेवी का स्थानांतरण समय सीमा के भीतर करना अनिवार्य है, और वंतरा में उपचार योजना वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप तैयार की गई है। यह प्रक्रिया उचित प्रशासनिक प्रोटोकॉल के तहत निष्पादित की जा रही है। सभी को इस दिशा में सहयोग देना चाहिए।
अक्तूबर 14, 2025 AT 23:19
Rin Maeyashiki
वाह भाई, ये मामला वाकई धमाकेदार है!
पहले तो महादेवी को कई सालों तक कोल्हापुर के मठ में रखा गया, जहाँ उसके स्वास्थ्य पर कई बार सवाल उठे थे।
अब कोर्ट ने उसे वंतरा में ले जाने का आदेश दिया, जो कि गुजरात में एक हाई‑टेक रीहैबिलिटेशन सेंटर है।
इस फैसले से न केवल महादेवी को बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि ये एक precedent सेट करेगा कि बड़े प्राणी को धार्मिक उपयोग से बचा कर चिकित्सा के तहत रखा जाए।
वंतरा में हाइड्रोथेरीपी जैसी उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं, जो उसके जोड़ों की जकड़न को कम करने में मदद करेगी।
फिजियोथेरेपी के साथ साथ विशेष आहार योजना भी तैयार की गई है, जिसमें हर्बल सप्लीमेंट शामिल हैं।
ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से हर घंटे उसकी एक्टिविटी मॉनिटर होगी, जिससे डॉक्टर तुरंत आवश्यक बदलाव कर सकेंगे।
इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि अब सरकार भी प्राणी अधिकारों को गंभीरता से ले रही है।
जैन समुदाय की विरोध भावनाएँ भी समझ में आती हैं, क्योंकि उनका धार्मिक भावनात्मक जुड़ाव गहरा है।
परंतु कानून के अधीन सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए, चाहे वह धार्मिक हो या नहीं।
रिलायंस फाउंडेशन की वित्तीय सहायता भी इस प्रक्रिया को तेजी से लागू करने में मददगार साबित होगी।
आशा है कि महादेवी का स्वास्थ्य धीरे‑धीरे सुधरेगा और वह फिर से जंगल में स्वतंत्र रूप से चल सकेगी।
भविष्य में ऐसे केसों में अधिक पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
समाज को भी समझना चाहिए कि प्राणी कल्याण का मतलब केवल मंदिर में उपयोग नहीं, बल्कि उनके जीवन को सुरक्षित एवं स्वस्थ रखना है।
चलो, इस सफल कदम को सराहते हैं और अन्य बड़े प्राणियों के लिए भी यही मार्ग अपनाने की उम्मीद रखते हैं।
अक्तूबर 15, 2025 AT 10:26
Paras Printpack
अरे वाह, इतनी बड़ी योजना, फिर भी एक हाथी को ही बड़े प्रोजेक्ट में डाल दिया, बाकी जंगली जानवरों को कब याद रखेंगे?
अक्तूबर 15, 2025 AT 21:32
yaswanth rajana
महादेवी के उपचार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यापक सहयोग को देखना प्रशंसनीय है। इस तरह के बहु‑स्तरीय प्रयास हमारे देश के वन्यजीव संरक्षण में नया मानक स्थापित करेंगे। हम सभी को इस दिशा में निरंतर समर्थन देना चाहिए।
अक्तूबर 16, 2025 AT 08:39
Roma Bajaj Kohli
देश के गौरव को बचाने हेतु महादेवी जैसा राष्ट्रीय धरोहर को विदेशी हस्तक्षेप से बचाना हमारा कर्तव्य है, इसलिए इस फैसले को पूर्ण समर्थन देना चाहिए, यह न केवल पर्यावरण संरक्षण का मामला है बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है।
अक्तूबर 16, 2025 AT 19:46
Nitin Thakur
हर प्राणी को उसके अधिकार मिलना चाहिए हमें इस बात को समझना चाहिए और कानूनी रूप से सही कदम उठाना चाहिए नहीं तो सामाजिक बवाल बढ़ेगा
अक्तूबर 17, 2025 AT 06:52
Arya Prayoga
महादेवी को जल्द ही ठीक होना चाहिए.
अक्तूबर 17, 2025 AT 17:59
Vishal Lohar
यह तो असली अभिजात्य नाटक है! कोर्ट ने महादेवी को जैसे रॉयल टोकन की तरह संभाल रखा, जबकि जैन समुदाय की भावना को स्याह कर दिया। अभी देखेंगे कि इस पालिशिएटेड फैसले का क्या नतीजा निकलेगा, पर एक बात तय है-यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई!
अक्तूबर 18, 2025 AT 05:06
Vinay Chaurasiya
विषाल जी, आपका विश्लेषण रोचक, स्पष्ट, और थोड़ा अतिरंजित, परंतु तथ्यात्मक पहलू पर ध्यान देना आवश्यक, महादेवी का उपचार वैज्ञानिक, मानवीय, और कानूनी मानकों के अनुसार है, इसलिए नाराज़गी के बजाय समर्थन अधिक उपयुक्त होगा।
अक्तूबर 18, 2025 AT 16:12
Selva Rajesh
विषाल भाई, इस न्यायिक फ़ैसले ने तो पूरी धारा को हिला दिया, अब क्या होगा इस अभिजात्य संघर्ष का, देखना होगा कि कौन जीतता है-न्याय या परम्परा, यही है असली मोर्चा! 🌟
अक्तूबर 19, 2025 AT 03:19